लखनऊ । केजीएमयू के बाद अब डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लिवर ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए संस्थान प्रशासन ने दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन करने जा रहा है। एमओ यू के बाद सबसे पहले लिवर की गंभीर बीमारी झेल रहे बच्चों का लिवर ट्रांसप्लांट पर प्रस्ताव है। उसके बाद वयस्कों के लिवर प्रत्यारोपण किया जाएगा। संस्थान का दावा है कि प्रत्यारोपण के लिए विशेषज्ञ डॉ.पीयूस उपाध्याय मौजूद हैं।
अक्टूबर माह में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से सहमति मिलने के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में डेडिकेटेड ट्रांसप्लांट सेंटर निमार्ण की तैयारी शुरू कर दी है। कोशिश है कि वर्ष 2023 में इस डेडिकेटेड ट्रांसप्लांट सेंटर के शुरू कर दिया जाए। इससे किडनी और लिवर की बीमारी झेल रहे मरीजों को राहत मिलने लगेगी। इसके अलावा इस सेंटर मरीजों का बोन मेरो ट्रांसप्लांट किये जाने की तैयारी चल रही है।
लोहिया संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट तो लंबे समय से हो रहा है,लेकिन ओटी की संख्या कम होने के कारण ट्रांसप्लांट कम हो पा रहा है। सर्जरी और ट्रांसप्लांट क एक ही ओटी में होता है। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट की वेंटिग हो जाती है। वर्तमान में देखा जाए, तो किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 6 से 8 महीने की वेटिंग चल रही है। डेंडीकेटेड ट्रांसप्लांट सेंटर के बन जाने से महीने की वेटिंग खत्म हो जायेगी।
लोहिया संस्थान की निदेशक प्रो.सोनिया नित्यानंद ने बताया है कि डेडिकेटेड ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू होने से लिवर,किडनी व बोनमेरो का प्रत्यारोपण एक ही छत के नीचे मरीजों को उच्च गुणवत्तापूर्ण तकनीक के साथ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए जगह निर्धारित हो गई है। फिलहाल इस सेंटर को बनाया जाना है,वहां पर अभी माइक्रोबायोलॉजी व पैथालॉजी विभाग संचालित हो रहा है। इन विभागों के स्थानान्तरण के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।