लखनऊ। आखिरकार अंगदान करने वाले एबी सिंह की लिवर दूसरे मरीज के प्रत्यारोपित नहीं हो पाया। कुछ क्लीनिकल तकनीकी कारणों से दिल्ली के अस्पताल में मरीज को प्रत्यारोपित नहीं हो पाया, लेकिन अब लिवर से निकाली गयी विशेष कोशिकाओं से रिसर्च किया जाएगा। यह दावा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अंगप्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ डा. अभिजीत चंद्रा ने किया,पर चर्चा यह है कि लिवर काफी देर से दिल्ली के अस्पताल पहुंचा था, जिसके कारण लिवर मानकों के अनुसार प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता था।
रात नौ बजकर 41 पर केजीएमयू से लिवर लेकर डा. अभिजीत चंद्रा का बीस मिनट बाद एयरपोर्ट पहंुच गये थे। यहां देर रात लिवर लेकर एयरपोर्ट से दिल्ली पहुंच भी गये थे, वहां पर मरीज को लिवर प्रत्यारोपण करने की तैयारी भी हो चुकी थी। इसके बाद लिवर की जांच पड़ताल के बाद कुछ क्लीनिकल तकनीकी के कारण लिवर प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका। उनका दावा है कि लिवर के डेड होने से पहले कुछ महत्वपूर्ण कोशिकाएं निकाल कर एकत्र कर ली गयी है। उनसे लिवर की जटिल बीमारियों पर शोध करने में मदद मिलेगी। ए बी सिंह की कार्निया लोगों की आंखों में रोशनी बिखेरेगी।
पर यह भी दबी जुबान में चर्चा है कि लिवर लेकर एयर पोर्ट तो पहंुच गये थे लेकिन फ्लाइट में देरी के चलते वह दिल्ली निर्धारित समय पर नहीं पहुंच सके थे। हालांकि डाक्टर इस पर खुली जुबान से इस पर चर्चा करने से कतराते रहे। बताते चले कि त्रिवेणी नगर निवासी एबी सिंह कोमा में चले गये थे। उन्होंने खुद ही डोनेशन के लिए पहले ही फार्म भर दिया था। इसके चलते परिजनों ने केजीएमयू के डाक्टरों से सम्पर्क करके अंगदान कराने की अपील की थी। किडनी सही न होने के कारण प्रत्यारोपित नहीं की जा सकी थी। कार्निया को निकाल लिया गया था।