लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में थैलसीमिया मरीजों को अब अत्याधुनिक तकनीक से सुरक्षित ब्लड मिलेगा। इसके लिए ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ने आधुनिक मशीन खरीदी ली है। इस मशीन की सहायता से एंटीबॉडी की सटीक पहचान की जा सकेगी। ऐसे में थैलसीमिया मरीजों को एंटीबॉडी मुक्त ब्लड उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
लोहिया संस्थान में थैलसीमिया मरीजों को डे-केयर में भर्ती कर इलाज किया जाता है। इन मरीजों को बार-बार ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। नतीजतन मरीज के शरीर में तमाम तरह की एंटीबॉडी पनप आती हैं।
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुब्रात चन्द्रा का कहना है कि एंटीबॉडी की अधिकता की वजह से मरीजों को सुरक्षित व उसी ग्रुप का खून मुहैया कराने में अड़चन आती है। मरीजों की दिक्कतोंं को दूर करने के लिए ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ने अत्याधुनिक बायोएरर मशीन खरीदी है। मशीन की मदद से कम समय में लगभग 38 रेयर ब्लड ग्रुप एंटीजन की जांच हो सकेगी।
डॉ. चन्द्रा का कहना है कि अभी सीरोलॉजी तकनीक से जांच हो रही है, जिससे सभी तरह के एंटीबॉडी का पता नहीं लग पाता है। नयी बायोएरर मशीन से महज पांच घंटे में एंटीबॉडी की सटीक पहचान की जा सकती है। स्किल सेल एनीमिया पीड़ितों में भी बार-बार ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
उन मरीजों में भी यह मशीन फायदेमंद होगी। मरीजों की सिर्फ एक बार जांच की जाती है। उसके बाद ब्लड भी एंटीजन नेगेटिव हैं, अगली बार ब्लड लेते समय ब्लड बैंक को अपनी रिपोर्ट दिखाकर उन एंटीजन की नेगेटिव वाली ब्लढ चढ़वा सकते हैं। इससे उनके ब्लड में इन एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडीज बनने की आशंका लगभग खत्म हो जाएगी।