लखनऊ। लिवर प्रत्यारोपण सफलता से करने वाले संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) को एक बार फिर लिवर प्रत्यारोपण विभाग को अपडेट होने के लिए लोन का इंतजार कर रहा है। बताया जाता है कि लोन स्वीकृत होने के बाद विभाग को अपडेट करने के साथ ही प्रत्यारोपण में मददगार विदेशों से उपकरणों को मंगाया जाएगा।
लगभग बारह लिवर प्रत्यारोपण के बाद मात्र दो लिवर प्रत्यारोपण ही सफल हो पाये थे –
बताते चले कि पीजीअाई में वर्ष 2000 में लिवर प्रत्यारोपण करना शुरू किया गया। यह प्रदेश में पहली बार शुरु हुआ था। उम्मीद जागी थी कि प्रदेश में यह सफलता के कदम रखेगा, पर लगभग बारह लिवर प्रत्यारोपण के बाद मात्र दो लिवर प्रत्यारोपण ही सफल हो पाये थे। वहीं लिवर प्रत्यारोपण करने से पीजीआई भी टालता रहा है। इसके बाद यहां पर दक्षिण भारत से प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा. अभिषेक यादव भी आए तो लिवर प्रत्यारोपण की उम्मीद बधी, बताया जाता है कि वर्चस्व की जंग में यह विशेषज्ञ डाक्टर टिक नही पाया आैर पलायन कर गया। इस बीच वर्ष 2015 में दो लिवर प्रत्यारोपण किये गये। इसमें एक लिवर प्रत्यारोपण तो सफल रहा तो दूसरा असफल हो गया।
इसके बाद पीजीआई प्रशासन लिवर प्रत्यारोपण लगातार कोशिश करता रहा। इस बीच यह भी कहा जा रहा था कि लिवर प्रत्यारोपण को एक नये सिरे अत्याधुनिक संसाधनों के साथ शुरू किया जाएगा। इसके लिए अलग भवन में विभाग को स्थापित भी किया गया। अपडेट करने के लिए पीजीआई प्रशासन ने लोन लेने का प्रयास करता रहा, लेकिन बताया जाता है कि लोन की स्वीकृति नही मिल पायी है आैर न ही अत्याधुनिक उपकरण आ सके। इस बारे में निदेशक डा. राकेश कपूर का दावा है कि लिवर प्रत्यारोपण को शुरू किया जाना है, बस विशेष उपकरण भी मंगाये गये है। इसके अलावा व्यवस्था को अपडेट करने के लिए लोन लेने की कोशिश की जा रही है।