लखनऊ में 61 प्रतिशत लोग नसों के खराब स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं: पी एंड जी हेल्थ सर्वे

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लखनऊ,।  राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है, जो यह याद दिलाता है कि हमें अपने खानपान और पोषण पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है, और यह हमारे समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि कुपोषण कई बीमारियों का कारण बन सकता है, बी समूह के विटामिनों की कमी से तंत्रिकाएं/नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
12 शहरों में 1800 उत्तरदाताओं के बीच किए गए ‘पी एंड जी नर्व हेल्थ सर्वे’/ ‘पी एंड जी तंत्रिका स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ के परिणामों से पता चलता है कि 60 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने नसों के खराब स्वास्थ्य के शुरूआती लक्षणों की अनदेखी की। लखनऊ में 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने नसों के की खराबी के शुरूआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया। हील हेल्थ और हंसा रिसर्च द्वारा संचालित और प्रॉक्टर एंड गैंबल हेल्थ लिमिटेड द्वारा समर्थित, सर्वेक में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है की नसें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन, केवल 38 प्रतिशत ही जानते हैं कि नसें रक्त वाहिकाओं से अलग होती हैं।
एंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष, डॉ. संजय कालरा कहते हैं, “शरीर की आवश्यकता से कम विटामिन बी12 का सेवन विशेष रूप से नसों के विकारों का कारण बनता है और समग्र स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। विटामिन बी12 के बिना, शरीर अच्छी गुणवत्ता वाले रक्त का उत्पादन करने और त्वचा, नाखून, बालों और नसों को स्वस्थ रखने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर पाता है। विटामिन बी12 वास्तव में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नसों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि, हमारा रक्त स्वस्थ रहे। विटामिन बी12 की कमी उन लोगों में आम है जो पर्याप्त मात्रा में दुग्घ उत्पादों या मासाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं। एक संतुलित और पौष्टिक आहार के एक भाग के रूप में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 और इसके पूरक आहार/सप्लीमेंट्स को नियमित रूप से लिया जाना चाहिए। यह तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे। ”
‘पी एंड जी नर्व हेल्थ सर्वे’, नसों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता के स्तर और धारणाओं को मापने और यह समझने के लिए कि क्या लोग नसों से संबंधित समस्याओं को पहचान सकते हैं, आयोजित किया गया था। जो परिणाम सामने आए उनसे पता चला कि आम लोगों को नसों के स्वास्थ्य के बारे में सीमित जानकारी है। जबकि लोगों ने तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से संबंधित लक्षणों को अनुभव किया था, लेकिन, केवल 50 प्रतिशत ही इसे नसों के स्वास्थ्य से जोड़ पाए।
प्रॉक्टर एंड गैंबल हेल्थ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, मिलिंद थट्टे ने कहा, “आज देश की एक बड़ी आबादी विटामिन बी12 की कमी से पीड़ित है, लोगों को न तो इसके कारणों का पता है, न ही तंत्रिका क्षति सहित इससे संबंधित जोखिमों के बारे में। हील हेल्थ और हंसा रिसर्च के सहयोग से किया गया ‘पी एंड जी नर्व हेल्थ सर्वे, नसों के स्वास्थ्य के बारे जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शुरूआती लक्षणों को पहचानने के लिए सशक्त बनाने और कैसे संतुलित आहार और पूरक आहार/सप्लीमेंट्स के द्वारा इसका प्रबंधन किया जा सकता है, का एक प्रयास है।
भारत में विटामिन बी12 की कमी अत्यधिक सामान्य है, इसकी और अन्य पोषक तत्वों की कमी का सबसे प्रमुख कारण कुपोषण है। इनके कई कारण हैं और ये मुख्यता आहार और जीवनशैली से संबंधित हैं।
एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) के मानद महासचिव डॉ. मंगेश तिवस्कर ने कहा, “विटामिन बी12 की कमी नसों की समस्याओं के मुख्य कारणों में से एक हो सकती है। नसों की खराबी सहित कई बीमारियों से बचने के लिए अच्छा पोषण अक्सर रक्षा की पहली पंक्ति होती है। आप जो भोजन करते हैं, वह आपके तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार कर सकता है। यह जानना कि कौन से पोषक तत्व आपके तंत्रिका तंत्र को पोषण देते हैं, आपको स्वस्थ जीवन जीने में सहायता कर सकते हैं और नसों संबंधी समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं। जागरूकता की कमी के कारण आमतौर पर लोग सही तरह की खानपान नहीं चुनते हैं। विटामिन बी12 की कमी से होने वाली नसों की क्षति स्थायी रूप से दुर्बल करने वाली हो सकती है।”
राष्ट्रीय सर्वेक्षण के परिणामों से यह भी पता चला कि 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने विटामिन बी12 को सब्जियों से और 69 प्रतिशत ने फलों से प्राप्त करने पर भरोसा किया, जो कि वास्तव में इसके स्त्रोत ही नहीं हैं।

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