लंग कैसर में यहां के मैन सेकेंड नम्बर पर : डा. सूर्यकांत

0
776

लखनऊ। फेफड़े के कैंसर दुनिया में पुरूषो में सबसे ज्यादा होते है तथा भारत में भी पुरूषो में यह दूसरे नम्बर का कैंसर है। यह बात डा. सूर्यकान्त ने कही। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा कैंसर के रोगी अंतिम अवस्था में ही सही इलाज कर पाते है। इसका प्रमुख कारण यह है कि फेफड़े के कैंसर के लक्षण टीबी रोग से मिलते जुलते है। इण्डियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दिगम्बर बेहरा ने बताया कि बीड़ी, सिगरेट का सेवन फेफड़ो के कैंसर का प्रमुख कारण है।

Advertisement

रेस्पटरी विशेषज्ञ डा. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि फेफड़े की बीमारियों को लोग शुरूआत में नजर अंदाज करते हुए बिना विशेषज्ञों के परामर्श के इलाज कराया करते है। उन्होंने बताया कि अगर सांस लेने में लगातार दिक्कत हो रही हो तो जांच करा ही इलाज कराये। सांस फूलने का कारण फेफड़े की बीमारी ही नहीं होती है। इसी प्रकार बीड़ी, सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए। खास कर महिलाओं व बच्चों के सामने नहीं धूम्रपान करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बीड़ी फेफड़े की जटिल बीमारियों का कारण बनी हुई है। केजीएमयू कुलपति प्रो एम एल बी भट्ट ने कहा कि लगभग 40 वर्ष पहले फेफड़े के कैंसर का उपचार लगभग न के बराबर होता था, किन्तु चिकित्सा जगत की प्रगति के साथ अब फेफड़े के कैंसर का उपचार संभव है तथा यदि रोगी प्रारम्भिक अवस्था में ही उपचार शुरू कर दे, तो वह लगभग पांच वर्ष या उस से भी अधिक जीवित रह सकता है। इस संगोष्ठी में 250 से अधिक चिकित्सक, वैज्ञानिक एवं शोधार्थी प्रतिभाग कर रहें हैं।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleलंग कैंसर के इलाज में कई योजनाएं सहायक : डिप्टी सीएम
Next articleपीजीआई : अस्सी करोड़ लोगों का इलाज सरकारी व्यवस्था के सहारे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here