लखनऊ। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य के साथ चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ की 2 घंटे चली वार्ता के बाद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति कोई नी निर्णय नहीं लिया जा सका। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर 2 दिन में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है तो उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे जिसके सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के अनुरोध पर 2 जुलाई महानिदेशालय का घेराव स्थगित कर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के साथ चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ की बैठक लाल बहादुर शास्त्री (एनेक्सी भवन) में चतुर्थ तल स्थित उनके सभागार में आयोजित हुई । जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कार्य समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें 25 प्रतिशत मुख्यमंत्री के आदेश देने के बाद भी प्रोत्साहन राशि अभी तक किसी भी कोरोना वारिर्यस को नहीं दी गई एवं जनवरी 2020 से अभी तक महंगाई भत्ते की किस्त भी फ्रिज कर दी गयीं है ,परिवार कल्याण भत्ता,शहर प्रतिपूरक भत्ता भी बंद कर दिया गया है। सभी संवर्गो के पदौन्नति के पद रिक्त पडे हैं ,सभी संवर्गो के पद भी हजारों की संख्या में रिक्त पड़े हैं ,ऐसे जब कोविड -19 की लहर पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुई है और तीसरी लहर दस्तक देने वाली है । ऐसे में स्थानांतरण क्यों जरूरी है, परन्तु अपर मुख्य सचिव ने बताया कि ये स्थानतरण नीति क्रार्मिक विभाग द्वारा निर्धारित की गई है, इसमें हम कोई संसोधन नहीं कर सकते हैं, तो हम लोगों ने कहा कि आप स्थानतरण करें परन्तु स्वयं के अनुरोध एवं समायोजन पर साल में 12 महीने आप स्थानांतरण करें, परन्तु हम सभी कि मजबूरी समझे कि ऐसे समय में जब हम लोगों को कोई किराए पर मकान तक नहीं देना चाहता। कैसे किसी दूसरे शहर में जाकर अपनी सेवाएं दे पायेंगे,फिर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि हम अपर मुख्य सचिव कार्मिक, एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन से वार्ता करके ही उचित निर्णय ले सकते हैं, यह भी आश्वासन दिया। बैठक में वार्ता लगभग एक घंटे तक चली सभी मुद्दों पर सार्थक वार्ता हुई। परन्तु स्थानांतरण नीती पर अपर मुख्य सचिव कार्मिक से वार्ता के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा। ऐसा कहना अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य का है। यदि 2 दिन के कार्य दिवस में सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है, तब बाध्य होकर चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ कोई कठोर निर्णय लेने को बाध्य हो सकता है,क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार लिखित व मौखिक बात के बाद भी स्थानांतरण नीति पर यदि कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता, तो इस तीसरी कोविड लहर में आमजनमानस को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी सम्सत जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी। उक्त बैठक में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद, महानिदेशक चि स्वा डा डी एस नेगी चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के प्रधान महासचिव अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण सचान,सचिव सर्वेश पाटिल, उपाध्यक्ष, अरविन्द वर्मा, जे के सचान उपस्थित रहे। सम्बद्ध संगठनों की बैठक कल दिनांक 7 जुलाई को समय 2 बजे दोपहर बलरामपुर चिकित्सालय,लखनऊ स्थित फार्मासिस्ट भवन मे रखी गई है जिसमें सम्सत लोगों की राय लेकर स्थानतरण नीति के विरोध पर विचार कर कठोर निर्णय लिया जा सकता है।
शासन के साथ बैठक में कोई निर्णय नहीं, 2 दिन में मांगे नहीं पूरी हुई होगा आंदोलन
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