मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं। यही नहीं एक दूसरे पर गहरा प्रभाव भी रखते हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा.पीके.दलाल ने शनिवार को मानसिक चिकित्सा विभाग के 47 वां स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में डाक्टर व शोध कर्ता प्रो. मोहन आईजेक भी मौजूद थे। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिटेशन पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा।
उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों मधुमेह , हृदय रोग व कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज को प्रभावित कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि आजकल बहुत सारे शोध मौजूद है जो यह बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक रोगों के उपचार को प्रोत्साहन देने से जीवन की गुणवत्ता और शारीरिक बीमारियों के साथ होने मे सुधार आता है। साइक्रेटिक में प्रगति एवं उन्नति का लक्ष्य शारीरिक बीमारियों के साथ होने वाले मानसिक रोगों में इलाज की स्वीकार्यता बढ़ाना और इलाज के परिणाम में सुधार लाना है।
डा.पीके.दलाल ने कहा कि आज भी हमारे समाज में मानसिक रोगों को लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिसके कारण मानसिक रोग हमारे समाज में निषेध विषय बना हुआ है, जबकि मानसिक रोग का बोझ केवल रोगी पर ही नहीं बल्कि उसके परिजनों पर भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि हाल ही मे किये गये एक राष्टï्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में लगभग 15 करोड़ को मानसिक स्वास्थ्य के देखभाल की जरूरत है।
इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम कर चुके चिकित्सक एवं शोध कर्ता प्रो. मोहन आईजेक ने कहा कि मेडीटेशन के माध्यम से तानव कम कर कई मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं मधुमेह व उच्च रक्तचाप में भी मेडिटेशन का काफी लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गंभीर मानसिक बीमारी में केवल मेडिटेशन करने से लाभ नहीं मिलेगा। इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह दवाओं का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन ध्यान योग तथा दवाओं के आपसी तालमेल से किसी भी मानसिक बीमारी के इलाज में अच्छे परिणाम आ सकते हैं।
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