लखनऊ। ठंडी शुरू होते ही किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाक्टरों का अवकाश शुरु हो जाते है, कहा जाता है कि ज्यादातर डाक्टर अवकाश पर बाहर चले जाते है, लेकिन यहां पर काफी संख्या में ऐसे डाक्टर है जो कि अवकाश के बाद भी केजीएमयू में मरीजों के इलाज करने में जुटे रहते है। केजीएमयू में ठंडी व गर्मी में डाक्टरों को 15-15 दिन का अवकाश मिलता है। इनमें ज्यादातर डाक्टर अवकाश पर रहते है, पर काफी संख्या में ऐसे डाक्टर होते है, जोकि अवकाश के बाजवूज मरीजों के हित में विभाग आते है आैर गंभीर मरीजों का इलाज व सर्जरी तक करते है। इन डाक्टरों का एक मत से कहना है कि यहां आने वाले मरीज काफी दूर दराज से आते है आैर उन्हें हमारे अवकाश की जानकारी नही होती है। उन्हें उम्मीद होती है कि फलां डाक्टर इलाज कर देगा।
इस उम्मीद को जिंदा रखने के लिए अपने विभाग में अवकाश के बाद भी आना पड़ता है। इन डाक्टरों में यूरोलॉजी विभाग के डा. अपुल गोयल, गैस्ट्रालॉजी विभाग के डा. अमित रूगंटा, फारेसिंक विभाग के डा. अनूप वर्मा, ट्रामा सर्जरी विभाग में डा. संदीप तिवारी, आर्थोपैडिक विभाग प्रमुख डा. जीके सिंह, डा. आशीष कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा. विजय कुमार, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एसएन शंखवार सहित अन्य दर्जनों डाक्टर है जो कि अवकाश के बाद भी विभाग में गंभीर मरीजों का इलाज करने के लिए मौजूद रहते है।
मरीजों की माने तो डाक्टर अपने गंभीर मरीजों की सर्जरी तक कर देते है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एसएन शंखवार का कहना है कि सभी डाक्टर अपनी जिम्मेदारी निभाते है। अवकाश में अपनी भूमिका के अनुसार सभी मौजूद होते है अगर शहर में है तो वह तत्काल चले आते है।