लखनऊ। जब नन्ही मासूम के दोनों पांव जमीन पर पड़े तो उसे सारा जहां मिल गया। चेहरे पर खुशी इतनी कि मानों वह बयां नहीं कर पा रही हो कि दायां कृत्रिम पैर लगने के बाद अब वह चल सकती है। अपनी लाडली बेटी को दोनों पैर से चलता हुआ देख मां-बाप केआंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। यह नजारा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कृत्रिम अंग अवयवय केन्द्र ( लिम्ब सेंटर) का था। जहां पर कार्यशाला प्रबंधक अरविंद निगम व वरिष्ठ प्रोस्टेटिस्ट शगुन की कोशिश ने एक वर्षीय मासूम का कृत्रिम पैर बना कर उसकी मुस्कराहट लौटा दिया था, आैर अब वह अपने नन्हें पैरो पर चलने की कोशिश करने लगी है।
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में पैर काटना पड़ा था –
सेंटर के कृत्रिम अंग कार्यशाला प्रबंधक अरविंद निगम ने बताया कि वर्ष 2015-16 में ठाकुर गंज निवासी राम बाबू बाजपेयी के बेबी किरन को डायरिया होने पर बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां पर पैरामेडिकल स्टाफ की लापरवाही से गलत इंजेक्शन लग जाने के कारण उसका दायां पैर में गैंगरीन हो गया। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में पैर काटना पड़ा था। उन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष तक बच्ची किरन के पैर की ड्रेसिंग चलती रही। उसके बाद कुछ ठीक होने पर उठ कर चलने की कोशिश की तो एक पैर से चलने की कोशिश में गिरने लगी तो मां बाप रो उठे। लोगों के बताने पर वर्ष 2016 के दिसम्बर में उसके पिता राम बाबू तथा मां पूजा बाजपेयी लिम्ब सेंटर लेकर आयी। यहां पर उन्होंने कृत्रिम पैर का 1440 रुपये बताया।
आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण कुछ दिन बाद वह रुपये लेकर आया आैर जमाकरके उसके पैर की नाप ले ली गयी। इसके बाद वरिष्ठ प्रोस्थेटिस्ट शगुन ने एक विशेष तकनीक से कृत्रिम पैर बच्ची किरण का बना दिया। आज बच्ची किरण के पैर का ट्रायल लिया गया। वह अपने दोनों पैर पर चलने की कोशिश कर रही थी आैर बेहद खुश थी। उससे ज्यादा मां बाप खुश थे।