लखनऊ । सेवा और त्याग की एक अनोखी मिसाल पेश करते हुए, एक सेवानिवृत्त जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) की 60 वर्षीय पत्नी ने अपने अंतिम क्षणों में तीन व्यक्तियों को जीवन का उपहार दिया, जो रायबरेली रोड पर सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी। कमांड अस्पताल (मध्य कमान), लखनऊ के डॉक्टरों के बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।उनके पति ने बहुत हिम्मत करके उनके अंगदान का बहुत ही नेक फैसला लिया। इसके परिणामस्वरूप, कमांड अस्पताल, लखनऊ ने नई दिल्ली में सेना मुख्यालय से संपर्क किया।
इसके अलावा, सोटो-यू .पी. के साथ सहयोग करने का निर्णय लिया गया, जिसके बाद कमांड अस्पताल ने डॉ. आर. हर्षवर्धन (संयुक्त निदेशक, सोटो-यू .पी., प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, अस्पताल प्रशासन,पीजीआई और डॉ. नारायण प्रसाद (प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी से संपर्क किया।अंग प्राप्ति की प्रक्रिया पर चर्चा की गई तथा आर एंड आर नई दिल्ली से एयर एम्बुलेंस तथा एसजीपीजीआई, लखनऊ से एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई। यह पूरा ऑपरेशन एसओटीटीओ-यूपी, कमांड अस्पताल (सीसी), एसजीपीजीआई, सैन्य पुलिस तथा उत्तर प्रदेश पुलिस के बीच अनुकरणीय समन्वय के माध्यम से संभव हो सका। अंग निकालने से पहले, मेडिकल टीम ने दिवंगत आत्मा के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा, जिसे “सम्मान के क्षण” के रूप में जाना जाता है, जो सशस्त्र बलों के प्रति गहरे सम्मान और मूल्यों का प्रतीक है।
सोटो यू.पी. की टीम जिसमें डॉक्टर और सोटो के कर्मचारी शामिल थे, ने भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाई। दो किडनी में से एक किडनी को लखनऊ के कमांड अस्पताल में एक मरीज को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। दूसरी किडनी को एसजीपीजीआई ले जाया गया। यहां पर प्रो. नारायण प्रसाद और प्रो. एम.एस. अंसारी के मार्गदर्शन में प्रत्यारोपण किया गया, जिसमें एसओटीटीओ-यूपी की टीम का सहयोग रहा, जिन्होंने समर्पित एम्बुलेंस के माध्यम से अंग को नेफ्रोलॉजी विभाग में पहुंचाया।
लिवर को निकाल कर भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान के माध्यम से आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर), नई दिल्ली पहुंचाया गया, जहां इसे सफलतापूर्वक दूसरे मरीज में प्रत्यारोपित किया गया।
इस कार्य से न केवल तीन लोगों की जान बच गई, बल्कि उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों में मृतक अंगदान कार्यक्रम को नई गति और दिशा भी मिली। भारतीय सेना और सोटो-यू पी का चिकित्सा समुदाय इस मानवीय मिशन को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने सोटो की पूरी टीम को इस सफल प्रयास के लिये बधाई दी है।सोटो की टीम के डॉ हर्षवर्धन को सफलतापूर्वक संपन्न होने की बधाई के पात्र हैं।