लखनऊ। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के एमबीबीएस के बदले पैटर्न में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेते ही मेडिकोज अब सीधे मरीजों से रूबरू हो सकेंगे। इसमें उन्हें मरीजों का इलाज करने में व्यवहारिक तरीका बातचीत, मरीज को प्राथमिक तरीके देखने का तरीका भी सिखाया जाएगा। यह परिवर्तन अगस्त से शुरू होने वाले नये शैक्षिक सत्र से ही लागू कर दिया जाएगा। चिकित्सा संस्थानों की ओर से इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में विभिन्न मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित भी किया गया है।
बताते चले कि अभी तक एमबीबीएस की पढ़ाई की शुरुआत थ्योरी से होती थी, लेकिन अब इसे प्रयोगात्मक बना दिया गया है। ताकि एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाला मेडिकोज मेडिकल प्रथम वर्ष से क्लीनिकल व व्यवहारिक जानकारी लेना शुरू कर दे। अगर मेडिकोज अंग्रेजी बोलने , लिखने व समझने में कमजोर होता है तो उन्हें ब्रिाज कोर्स के तहत अंग्रेजी में बोलने, समझने आैर मरीज बातचीत करने का तरीका भी सिखाया जाएगा।
इसके बाद उन्हें मरीजों के बीच काम करने का मौका दिया जाएगा। डाक्टरों की देखरेख में मरीज के बीमारी की केस हिस्ट्री कैसे ली जाए आैर जानकारी लेते वक्त कौन- कौन सी सावधानी बरती जाए। यहीं नहीं मरीज की डायग्नोसिस व ब्लड की रिपोर्ट देखते वक्त पहले क्या आैर कैसे देखा जाने में सावधानी बरते और मरीज से बातचीत करने का व्यवहारिक सलीका भी सिखाया जाएगा। सीखाने के साथ ही प्रत्येक महीने मेडिकोज का परीक्षा भी ली जाएगी। लेकिन यह सब व्यवहारिक पहलू ही मेडिकोज के लिए होगा। इस परीक्षा का नंबर वार्षिक मूल्यांकन में नहीं जोड़ा जाएगा।
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