लखनऊ। मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी को समाप्त करना चुनौती से कम नहीं है। नयी दवाओं व नियमित इलाज से सामान्य व गंभीर टीबी का सटीक इलाज संभव है।
यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने शनिवार को एमडीआर टीबी पर आयोजित कार्यशाला में कही।
कुलपति डॉ. पुरी ने कहा कि केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है। इसके तहत प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के साथ ही जिला क्षय रोग इकाइयों का जागरुक अभियान चलायेगा।
टीबी के समापन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तैयार नीतियों को प्रदेश में क्रियान्वित करने में भी सहायता करेगा। रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि टीबी की जांच का दायरा बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है। ताकि टीबी के मरीजों की जल्द पहचान कर इलाज कर स्वस्थ किया जा सके। प्रदेश में एमडीआर टीबी एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि 75 जिलों में 22 स्थानों पर ही इसकी जांच व इलाज की सुविधा है। उन्होंने कहा कि बार-बार टीबी का इलाज छोड़ने से मुश्किलें बढ़ रही हैं। अधूरे इलाज से मरीज में दवा प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है। मरीज में दवाएं काम नहीं करती हैं। पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि टीबी के खात्मे के लिए बच्चों को कुपोषण से बचाना जरूरी है। कार्यशाला में अन्य वरिष्ठ डाक्टर भी मौजूद थे।