लखनऊ – बहराइच के कर्तनिया जंगल में बंदरों के बीच मिली मोगली गर्ल की कहानी को वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड में नकार दिया है। लगभग एक हफ्ता चली गहन जांच पड़ताल के बाद वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है की कहां जा सके वह लड़की जंगल गर्ल कही जा सके। बताया जाता है इस मामले में एक और अधिकारी जांच कर रहे हैं। इस अधिकारी को वन में रहने वाले खानपान व अन्य वन्य संरक्षण विशेषज्ञ माना जाता है।
बताते चलें बहराइच के मोतीपुर रेंज के जंगलों में मिली 11 साल की लड़की घायल थी और उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। वह बंदरों के झुंड के साथ रहती थी उन्हीं की तरह वह हरकत भी कर रही थी। बहराइच के जिला अस्पताल में 25 जनवरी को भर्ती कराया गया था जहां के डॉक्टरों ने उसका इलाज भी करने की कोशिश की थी लेकिन कोई शेल्टर होम ना होने के कारण उसे लखनऊ के निर्माण हॉस्पिटल में इलाज के लिए शिफ्ट कर दिया गया। इससे पहले बहराइच के प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस अधिकारियों ने उसका नाम वन दुर्गा भी रख दिया था। जबकि स्थानीय लोग उसे मोगली गर्ल या जंगल गर्ल के रूप में देखते थे।
इस घटना को सोशल मीडिया के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी देखा गया। विदेशों में भी चर्चा के बाद वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के अधिकारियों ने इस घटना की जांच शुरु की करीब 1 हफ्ते के बाद उन्होंने उस लड़की को जंगल गर्ल होने से नकार दिया है। उनका कहना है ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि वह लंबे अरसे से जंगल में रहती हो वह मानसिक रूप से डिस्टर्ब हो सकती है। परियोजना अधिकारी दबीर हसन का कहना है जल्द ही एक और अधिकारी की जांच रिपोर्ट आ जाएगी फिलहाल उस लड़की का बेहतर इलाज चल रहा है और उसमें कुछ सुधार भी हुआ है।