मूर्छा का अर्थ होता है सभी मानसिक गतिविधियों के निलंबन की अवस्था। यह प्राणायाम ऊंचे लक्ष्यों की प्राप्ति में मददगार होता है। यह प्राणायाम सिद्धयोगी करते हैं। मूर्छा प्राणायाम आपको तनाव, चिंता एवं डिप्रेशन से बचाता है और साथ ही साथ मानसिक समस्याओं एवं नपुंसकता से प्रभावित रोगियों के लिए भी असरदार है।
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मूर्छा प्राणायाम की विधि
- सबसे पहले आप पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं।
- आँखें बंद करें।
- अब आप सिर को पीछे झुकाएं और धीरे धीरे दोनों नासिका छिद्र से सांस लें।
- कुम्भक करें और शाम्भवी मुद्रा करते हुए स्थिर रहिये।
- धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए सिर को सीधा करें।
- यह एक चक्र हुआ।
- इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें और फिर धीरे धीरे इस के चक्र को बढ़ाते रहें।
मूर्छा प्राणायाम के लाभ
- ध्यान प्राणायाम: यह ध्यान के लिए बहुत उम्दा प्राणायाम है।
- आत्मा के नजदीक लाना: इसके नियमित अभ्यास से आप आत्मिक स्तर की ओर पहुंचने में मदद मिलती है।
- मानसिक स्थिरता: यह प्राणायाम शारीरिक एवं मानसिक स्थिरता प्रदान करते हुए आपको एक अलग अवस्था की ओर ले जाता है।
- तनाव को कम करने में: यह तनाव को कम करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है।
- चिंता कम करने के लिए: यह चिंता एवं क्रोध को दूर करने के लिए उपयोगी प्राणायाम है।
- प्राण ऊर्जा: यह प्राण ऊर्जा में बढ़ोत्तरी करता है।
- धातु रोग : धातु रोग के इलाज में यह बहुत फायदेमंद है।
मूर्छा प्राणायाम की सावधानियां –
- हाई ब्लड प्रेशर: हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित व्यक्तियों को इस असब का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
- मस्तिक – दाब: मस्तिक – दाब से पीड़ित व्यक्ति यह न करें।
- यह अभ्यास आपको बेहोशी की अवस्था में लेकर आता है इसलिए इसका अभ्यास किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
- हृदय या फेफड़े के रोगों से पीड़ित लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
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