मूल को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मूल को पकड़कर नए फूल खिलाने चाहिए। मूल से ही हमारी पंरपरा, सभ्यता, भारतीयता और वेद-पुराणों का गहरा नाता है। इसे बना रहना चाहिए। तभी हम राष्ट्र और अच्छे चरित्र का निर्माण कर सकते हैं। वही हमारी और हमारे समाज की पहचान है। यह विचार सोमवार को मोरारी बापू ने रामकथा में व्यक्त किए। उन्होंने बीच-बीच में श्री राम जय राम जय जय राम’ और ‘श्री राधे-श्री राधे’ कहकर भक्तों को राममगन कर दिया। श्रोता मोरारी बापू की कथा सुनकर उनके कायल हो गए। सभी ने तालियां बजाकर संत का पूरा साथ दिया। संत शिरोमणि मोरारी बापू की श्रीरामकथा में भक्तों ज्ञान रूपी गंगा में डुबकी लगाई।
साधु साध्य है, साधन नहीं –
सीतापुर रोड स्थित सेवा अस्पताल के मैदान पर चल रही मोरारी बापू की रामकथा में बीच-बीच में नामी शायरों की शायरी और कविताओं की पंक्तियों का भी श्रद्धालुओं ने खूब लुत्फ उठाया। सीतापुर रोड स्थित सेवा अस्पताल के मैदान पर चार दिसम्बर तक चलने वाली श्री राम कथा में व्यासपीठ पर आसीन मोरारी बापू की कथा में बीच-बीच में नामी शायरों की शायरी व कविताओं की पंक्तियों का भी खूब लुत्फ उठाया।
उन्होंने अपने निराले अंदाज में बात साधू जगत की की, तो कभी पुरुष के प्रकार और शिव की महिमा को भी उन्होंने विस्तार से बताया।
उन्होंने अपने निराले अंदाज में साधू जगत की बात की तो कभी पुरुष के प्रकार और शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जैसे कथा साधन नहीं साध्य है उसी प्रकार साधु भी साध्य है, साधन नहीं। साधु सुधारक नहीं स्वीकारक होता है, वह सभी कुछ स्वीकार करता है। मुझे उससे नज़र मिलाने में भी डर लगता है। उन्होंने वसीम बरेलवी के शेर को वह नज़र नज़र में जहन पढ़ लेता है, कहा तो श्रद्धालुओं ने तालियों से उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि साधक को चाहिए की वह पानी की तरह बन जाए। जेहि विधि प्रभु प्रसन्न मन होयी। करुणासागर लीजै सोयी। इस बात को उन्होंने’राज़ी है हम उसी में जिसमें तेरी रजा हो।’ कहकर श्रोताओं को समझाया। उन्होंने श्री राम चरित्रमानस के विभिन्न चरित्रों का वर्णन करते हुए कहा कि चरित्रों का मेला है श्री राम चरित्रमानस।
शिव की महिमा अपरम्पार
शिव की महिमा का गान करते हुए उन्होंने कहा कि राम गर्भगृह में प्रवेश करना है तो उसका द्वार शिव ही है। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि रामायण के जनक आदि कवि वाल्मीकि हैं लेकिन राम किंकर महाराज कहा करते थे कि शिव राम चरित्र मानस के अनादि कवि है।
कथा साधन नहीं साध्य है उसी प्रकार साधु भी साध्य है, साधन नहीं। चैतन्य महाप्रभु (प्रेमावतार) ने सन्यास लेते समय अपनी पत्नी विष्णुप्रिया को कहा कि यह ५ बातें याद रखना
१. मेरी स्मृति रखना (स्मरण करने पर ना आयें यह हरि के स्वभाव में नहीं है)
२. आँखे बंद करके मेरा दर्शन करना
३. मन से मुझे स्पर्श करना
४. आत्मभाव से मुझमें विगलित(विलीन) हो जाना
५. इसके बाद आपको परम विश्राम प्राप्त होगा
इसके बाद विष्णुप्रिया को परम संतोष हो गया।
इकरारे मोहब्बत चाहिए, वक़्त की मौज नहीं।
हमें कृष्ण चाहिए, कृष्ण की फ़ौज नहीं ।। मक़बूल साहब
तुलसी ने कभी नारी की आलोचना नहीं की नारी के रूप में आने वाली माया की आलोचना की है
मोरारी बापू की प्रेस वार्ता 30 को
प्रेमयज्ञ कथा समिति के मीडिया प्रभारी भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि 30 नवंबर को शाम पांच बजे बी-49, सेक्टर जे पार्क, मंदिर मार्ग महानगर स्थित आवास पर मोरारी बापू की प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है। इस संबंध में किसी प्रकार की जानकारी के लिए भारत भूषण गुप्ता 9415105298 पर संपर्क कर सकते हैं।