केजीएमयू का क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग का स्थापना दिवस समारोह
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों की मृत्युदर में कमी आ रही है। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो लगभग तीन प्रतिशत मृत्युदर घटी है। प्रिसीजन मेडिसिन के प्रयोग से वेंटिलेटर पर भर्ती गंभीर मरीजों की जान बचाने में मदद मिल रही है। यह जानकारी के जीएमयू के क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. अविनाश अग्रवाल ने दी। डा. अग्रवाल शताब्दी फेज दो के प्रेक्षागृह में आयोजित क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के आठवें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे है। समारोह का उद्घाटन केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।
डा. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि प्रिसीजन मेडिसिन के तहत व्यक्ति आधारित इलाज दिया जाता है। इसका लाभ मरीजों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रिसीजन मेडिसिन में व्यवस्था लागू होने से पहले भर्ती मरीजों की मृत्युदर लगभग 36 प्रतिशत थी। यह घटकर अब 33 प्रतिशत हो गयी है। इसमें धीरे- धीरे आैर सुधार होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि विभाग में मरीजों की समस्याओं को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये है।
पैथालॉजी कई महत्वपूर्ण जांच विभाग में करायी जा रही है। इसमें मॉलीक्यूलर जांच भी हो रही है। लगभग 35 प्रकार की महत्वपूर्ण जांच की सुविधा मरीजों को उपलब्ध करायी जा रही है। बिस्तर पर ही ईसीजी जांच बिस्तर पर ही की जा रही है। इन महत्वपूर्ण जांच की रिपोर्ट मात्र चार घंटे में ही मिल जाती है। इससे मरीज को कौन सी दवा दी जानी है। यह तय हो जाता है। कुलपति प्रो. सोनिया ने कहा कि नयी अपडेट तकनीक के प्रयोग से मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है।
समारोह में मुम्बई डा. भुवन कृष्णा, विभागाध्यक्ष, सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बैंगलोरू, प्रो. अमिता जैन, अधिष्ठाता, चिकित्सा संकाय, केजीएमयू, प्रो. बी.केओझा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक मौजूद थे।