लखनऊ। अभी तक लोग मरीज को लाकर सही इलाज न मिलने पर हंगामा करते थे। आज बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में मृत अवस्था में लाए गए युवक का इलाज करके सांस लौटाने के लिए परिजनों हंगामा काटा आैर डॉक्टर से जबरन शव की जांच कराने के लिए कहने लगे। लोगों ने समझाने की कोशिश की तो मारपीट पर उतर आये। करीब एक घंटे तक इमरजेंसी में अफरा-तफरी मची थी। मामला शांत होने के बाद मरीजों का इलाज शुरू हुआ। उधर घटना की नजाकत को देखते हुए पुलिस को बुला लिया गया। उसके हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।
सिटी स्टेशन के समीप रहने वाले फहीम को दोपहर में सीने में तेज दर्द होने पर परिजन मरीज को लेकर लारी कॉर्डियोलॉजी पहुंचे। आरोप हैं कि वहां पर आईसीयूफुल होने के कारण मरीज को भर्ती नहीं किया गया। यहां से परिजन मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। इमरजेंसी ड्यूटी पर मौजूद डॉ. सर्वेश ने मरीज की जांच की तो धड़कने थम चुकी थी। उन्होंने मरीज को मृत घोषित कर दिया। यह बात परिजन यह बात मानने को तैयार ही नहीं थे।
परिजनों ने हंगामा मचाते हुए डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। मरीज को जिंदा करने का दबाव डॉक्टरों पर बना रहे थे। लगातार दबाव बढ़ता देख डॉक्टरों ने शव का ईसीजी किया। फिर भी परिजनों को यकीन नहीं हुआ कि वह मर गया है। वह लोग मरीज की उन्होंने छाती दबाकर इलाज करने के लिए कह रहे थे। उन्हें सतुष्ट करने के लिए उसका डीप फिब्लेटर मशीन से इलाज किया गया।
परिजनों की बढ़ती मनमानी मंाग व दबाव को देखते हुए डॉक्टर से पुलिस को 100 नम्बर पर सूचना दी। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। परिवारीजनों को समझाया-बुझाया। तब जाकर परिवारीजन शव ले जाने को राजी हुए।
हंगामे के वक्त इमरजेंसी में काफी मरीज थे। कुछ मरीज स्ट्रेचर पर इलाज के लिए परेशान हो रहे थे तो कुछ एम्बुलेंस में भर्ती होने का इंतजार कर रहे थे। उन्हें स्ट्रेचर से इमरजेंसी में लाना था। हंगामे की वजह से मरीजों का इलाज ठप हो गया। करीब एक घंटे तक इमरजेंसी में अफरा-तफरी मची थी। मामला शांत होने के बाद मरीजों का इलाज शुरू हुआ।
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