मुर्दाघर में जिंदा थी वह…

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लखनऊ । किसी जिंदा मरीज को मुर्दाघर में रखवा दिया जाए ऐसा सुना नहीं होगा, परन्तु लोकबंधु अस्पताल के डाक्टरों पर आरोप है कि एक जिंदा लड़की को मृत बताकर तीन घंटे मॉच्युरी में रख दिया। परिजनों व पुलिस के दबाव में जब तीन घंटे बाद लड़की को निकाला तो तो पता चला उसकी सांसे चल रही थी, वह जिंदा थी। परिजनों का आरोप है कि उसे अन्य निजी अस्पताल ले गये जहां पर डाक्टरों ने जांच के बाद मृत तो बताया, लेकिन कुछ देर आने पर जान बचाने का दावा भी कर दिया। इस परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया।

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आलमबाग के भोलाखेड़ा निवासी 17 साल की सौन्दर्य गुप्ता को कल शाम को घर में टीन शेड के पास पड़े तार की चपेट में आने से करंट लग गया था। उसकी चीख सुनकर पिता गोेविन्द अपनी इकलौती लाडली बेटी को छुड़ाने के लिए भाग कर पहुंचे आैर कोशिश में झटका लगने से वह खुद दूर जा गिरे। इसे देख मां पिंकी सावधानी बरतते हुए ने जल्दी से पहले पावर सप्लाई बंद की। इसके बाद बेहोश पड़ी सौन्दर्य को आनन-फानन में शाम 7.30 बजे निकटतम लोकबंधु अस्पताल लेकर पहुंचे। सौन्दर्य की मौसी विमला का आरोप है कि आधे घंटे जांच के बाद डॉक्टरों ने बेटी को मृत घोषित कर दिया।
शव को मॉच्युरी में रखवा दिया गया आैर सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव ले जाने को कहा। बेटी की मौत के बाद रोते-बिलखते परिजन घर आ गये। घर में कोहराम मच गया।

इसी बीच मां पिंकी को यकीन ही नही हुअा आैर बेटी को एक बार देखने जिद करने लगी तो परिजनों ने माता-पिता दुबारा रात 11.30 बजे लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। यहां पर डाक्टरों से मिन्नते की तो बेटी का शव देखने को मिला। मौसी विमला का कहना है कि जब मां ने बिलखते हुए सौन्दर्य के शरीर को हाथ लगाया तो वह गर्म थी और शरीर में हरकत महसूस हुई तो रो रहे परिजनों ने हंगामा मचा दिया आैर आनन-फानन में उसे लेकर पास के अवध अस्पताल गये, जहां डॉक्टरों ने सौदर्य को केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर ले जाने को कहा। ट्रामा सेन्टर दूर होने के कारण जल्द बाजी में निकट के अन्य निजी अस्पताल ले गये, परिजनों ने बताया कि जहां डॉक्टरों ने कहा कि मृत घोषित करते हुए कहा कि अगर कुछ देर पहले आ जाते तो जान बच सकती थी।

परिजनों का आरोप है कि लोकबंधु अस्पताल में लापरवाह डाक्टरों ने बेहोश सौन्दर्य की बिना ठीक से जांच के ही मृत बता दिया और आनन-फानन में बॉडी को मॉच्युरी में रखवा दिया। उनका कहना है कि यदि डॉक्टर सही के जांच करते तो उनकी बेटी जिंदा होती। मॉच्युरी में तीन घंटे रखने के बाद भी वह जिंदा थी। निजी अस्पताल में इलाज कराने के कुछ देर बाद उसकी मौत हुई। उधर लोक बंधु अस्पताल प्रशासन का दावा है कि डाक्टरों ने कोई लापरवाही बरती है। लिखित शिकायत मिलनेपर जांच करायी जाएगी।

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