लखनऊ। आप दांत टूटने व खराब होने पर दुबारा दांत लगवाते है, तो कई बार फिटिंग ठीक नहीं लगती या फिर अटपटा सा लगता रहता है। चेहरा के लुक नहीं लगने पर दोबारा डाक्टर के पास जाना पड़ता है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत संकाय में डेंटल इम्लांट के बाद अब दोबारा कोई दिक्कत नहीं होगी, यहां इंम्प्लांट से पहले ही थ्रीडी स्माइल डिजाइन के जरिए पता चलेगा कि चेहरे कैसा दिखेगा।
यह बात डा. अनिल चंद्रा ने दंत संकाय के प्रेक्षागृह में थ्री डी स्माइल डिजाइन विषय पर कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि दांतों की विभिन्न बीमारी लोगों में ज्यादा बढ़ रही है। दांतों में सड़न व एक्सीडेंट में चोट लगने से तथा अन्य कारणों से दांतों को नुकसान हो रहा है। डा. चंद्रा ने बताया कि अभी तक दांत व इम्प्लांट प्रत्यारोपित करने से पहले चित्र लिया जाता है। फिर उसे मरीज को दिखाते हैं। अब नयी तकनीक थ्रीडी स्माइन डिजाइन में मरीज के मुंह का पूरा चित्र लिया जाता है। मरीज को दांत लगने की पूरी प्रक्रिया दिखाई जाती है। दांत को इम्प्लांट करने में कैसे सर्जरी होगी। दांत व इम्प्लांट कैसे प्रत्यारोपित किया जाएगा। दांत लगने के बाद चेहरा कैसा दिखाई देगा।
यही नहीं स्माइल के बाद चेहरा कैसा दिखेगा। मरीज की आत्मिक संस्तुष्टि के बाद सर्जरी करने का निर्णय लिया जाता है। खास बात यह होती है कि कम्प्यूटर गाइडेड मशीन सर्जरी की दिशा भी तय करेगी। इससे सर्जरी की सफलतादर बढ़ने लगती है। कार्यशाला में डा रमेश भारती ने बताया कि नकली दांत प्रत्यारोपित करने से पहले ड्रिल मशीन से मसूढ़े में सुराख किया जाता है। इसमें जरा सी चूक हुई तो मसूढ़ों को नुकसान हो सकता है। नयी तकनीक से इस नुकसान की संभावना 80 से 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
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