लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग में निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया गया। शिविर में लगभग पचास लोगों ने जांच करायी। फेफड़े की जांच में 20 प्रतिशत को श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी मिली। खास बात यह थी कि सामान्य लोगों के भी फेफड़े कमजोर मिले। यह बात केजीएमयू के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. सूर्यकांत ने कही।
बुधवार को क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दिवस पर शिविर में पचास लोगों ने फेफड़े पर सांस सम्बधी बीमारी की जांच करायी। डा. सूर्यकांत ने बताया कि 20 प्रतिशत लोगों में श्वसन तंत्र सम्बधी बीमारी मिली। उन्होंने कहा कि चालीस वर्ष के ऊपर के स्वस्थ व्यक्तियों को भी नियमित रूप से फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच करानी चाहिए। डा. सूर्यकांत ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। लोग धूम्रपान भी खूब कर रहे है। इनमें युवा वर्ग की लड़के लड़कियां भी शामिल है।
फेफड़े से जुड़ी बीमारियों पिछले कुछ वर्षो में तेजी से इजाफा हुआ है। परोक्ष रूप से धूम्रपान, अलाव का प्रयोग एवं लम्बे समय तक बने रहने वाले फेफड़े के संक्रमण भी सीओपीडी के लिए प्रमुख जोखिम कारक है। वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगायें एवं मास्क न होने पर रूमाल से ही नाक व मुँह ढ़के लें, महिलायें नाक व मुँह ढ़कने के लिए दुप्ट्टे या साड़ी के पल्लू का भी इस्तमाल कर सकती हैं। वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए रोज भाप और सर्दियों के दौरान कृपया मोर्निंग वॉक न करें।
कार्यक्रम में डा. संतोष कुमार, डा. दर्शन बजाज, डा. ज्योति बाजपेयी, न्यूरोलॉजी विभाग के डा. रवि उनियाल मौजूद थे।