लखनऊ। लम्बे समय से पेंशेंट केयर अलाउंस की मांग को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों चिविवि प्रशासन ने हरी झंडी दे दी है। इस घोषणा से केजीएमयू के कर्मचारियों में खुशी की लहर फैल गयी है। इससे केजीएमयू के लगभग एक हजार कर्मचारियों को प्रत्येक महीने 4100 रुपये अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। घोषणा के अनुसार यह भुगतान जनवरी वर्ष 2020 से होगा।
बताते चले कि एम्स सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों के कर्मचारियों को यह अलाउंस दिया जा रहा है आैर यहां के कर्मचारी भी इसकी मांग करते आ रहे थे। बुधवार को हुई केजीएमयू कार्यपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गयी है। बैठक में सदस्यों ने निर्णय लिया कि कर्मचारियों में ग्रेड पे 4200 रुपये को पेशेंट केयर अलाउंस 4100 रुपये भुगतान किया जाएगा।
इसके अलावा कार्यपरिषद की बैठक में केजीएमयू में महिलाओं में बढ़ती बीमारी स्तन कैंसर के लिए ब्रोस्ट डिजीज सेंटर के साथ ही डायबेटिक रेटिनोपैथी विभाग शुरू करने का प्रस्ताव है। बुधवार को हुई कार्यपरिषद की बैठक में अनुमति दे दी गयी। अब इस प्रस्ताव को शासन को भेजा जाएगा। यही के एनेस्थिसिया विभाग में प्रोफेसर रहे डा. सतीश चंद धस्माना के नाम पर केजीएमयू में गोल्ड मेडल दिया जाएगा। यह मेडल एमबीबीएस फाइनल में सबसे ज्यादा नम्बर लाने वाले छात्रों को दिया जाएगा। केजीएमयू के सेंटर फॉर रिसर्च विभाग में कार्यरत डॉ नीतू सिंह पर अनुशासहीनता का आरोप लगाया गया था। इस मामले में गठित अनुशासनात्मक समिति द्वारा तैयार किए गए आरोप पत्र को भी कार्य परिषद ने मंजूरी दे दी है।
इसी प्रकार फार्मोकोलॉजी विभाग के डॉ. संजय खत्री के मामले में गठित समिति द्वारा तैयार किए गए आरोप पत्र को मंजूरी दी गई। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अशीष वाखलू के प्रकरण में न्यायालय से प्राप्त निर्देशों को संज्ञान में लेने, फार्मोकोलॉजी विभाग के डा. ओपी सिंह मामले में गठित जांच समिति की संस्तुतियों को मंजूरी देने के साथ ही विभिन्न प्रशासनिक आदेशों एवं गठित समितियों को कार्यपरिषद ने अनुमोदित किया। इस दौरान लैपटाप खरीद मामले में पूर्व में गठित जांच समिति के पुर्नगठन, मेडिकल गेस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग में शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों के सृजन, नवसृजित स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग के लिए अस्थाई फैकल्टी की नियुक्ति, अधिवक्ताओं की फीस बढ़ोत्तरी के साथ ही विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों के अवकाश, स्वैच्छिक सेवानिवृति, त्यागपत्र आदि को भी मंजूरी दी गयी। बताते चले कि स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति देने के नियम में वर्ष 2008 में परिवर्तन हो गया था। आज के प्रस्ताव के बाद त्याग पत्र देने के बजाय डाक्टर अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना पसंद करेंगे।
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