न्यूज डेस्क। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के दो मरीजों का नयी टीबी निरोधक दवा बेडाक्वीलिन से बुधवार से उपचार शुरू कर दिया गया। यह मरीजों एक्सडीआर से पीड़ित थे आैर इन पर टीबी की पांरपारिक दवाएं काम नहीं कर रही थी। इसके बाद दोनों मरीजों का इस पद्धति से उपचार करने का निर्णय लिया गया है। इनके उपचार पर 22 लाख रुपए का खर्च आएगा और यह खर्च राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की ओर से उठाया जा रहा है। टांडा मेडिकल कालेज के पिं्रसीपल डा. भानु अवस्थी ने मीडिया को बताया कि इन मरीजों में एक पुरुष और एक महिला है। पहले इनकी पहचान की गयी थी कि इन पर टीबी की पारंपरिक दवाएं कारगर तरीके से काम नहीं कर रही हैं और इसके बाद इनके 23 परीक्षण किए गए और बाद में डाट प्लस साइट कमेटी की मंजूरी के बाद बुधवार को आज से इनका इस दवा से उपचार शुरू कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि टांडा मेडिकल कालेज आईजीएमसी शिमला के बाद पहला ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है जो दवा का इस्तेमाल ऐसे मरीजों पर कर रहा है। डॉ गुरुदर्शन गुप्ता , चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि टीएमसी के पास कम से कम पांच मरीजों के लिए इस दवा का पर्याप्त भंडार है और इन दोनों मरीजों को दो हफ्तों तक निगरानी में रखा जाएगा। बताते चले कि यह दवा बाजार में सिरतुरो के नाम से उपलब्ध है और यह टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरिम के उस एंजाइम एटीपी सिंथीटेज का बनना रोक देती है, जिसके जरिए से जीवाणु ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
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