कैंसर में इस वर्ष समयपूर्व मृत्यु के 53 लाख में करीब 70 प्रतिशत को रोक सकते थे : अध्ययन

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न्यूज। ग्लोबल हेल्थ के नये शोध में कहा गया है कि 2020 में दुनियाभर में कैंसर के कारण समयपूर्व मृत्यु के 53 लाख मामलों में करीब 70 प्रतिशत को रोका जा सकता था, बाकी 30 प्रतिशत मामले उपचार योग्य थे।
इस अध्ययन में कहा गया है कि कैंसर से जिन मरीजों की मौत हुई उनमें 29 लाख पुरूष थे जबकि 23 लाख महिलाएं थीं। इस अध्ययन में विश्लेषण के लिए ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर” (आईएआरसी) के कैंसर से मृत्युदर पर ‘ग्लोबोकैन 2020″ डेटाबेस का इस्तेमाल किया गया।

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आईएआरसी कैंसर के कारणों पर शोध करता है आैर शोधों के बीच तालमेल कायम करता है। वह संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत अंतरसरकारी एजेंसी है।
इस अध्ययन में कहा गया है कि 2020 में सभी आयुवर्ग की महिलाओं में मौत के करीब 13 लाख मामलों के लिए तंबाकू, शराब, मोटापा आैर संक्रमण जिम्मेदार रहे। उसमें कहा गया है कि इन जोखिम कारकों की वजह से महिलाओं में कैंसर को व्यापक रूप से पहचान नहीं मिली है।

अध्ययन में कहा गया है कि हर साल महिलाओं की कैंसर से समयपूर्व मौत के 15 लाख मामले अहम जोखिम कारकों से बचकर या समय से बीमारी का पता लगाकर एवं उसके इलाज से रोके जा सकते थे, जबकि हर साल सभी महिलाओं को अच्छे से अच्छा कैंसर उपचार प्रदान करके आठ लाख जिंदगियां बचायी जा सकती थीं।

यह अध्ययन 185 देशों में 2020 में उन 36 प्रकार के कैंसर से हुई ऐसी मौतों का वैश्विक आकलन है जिन्हें रोका जा सकता था, जिन मामलों में उपचार किया जा सकता। यह मानव विकास सूचकांक पर आधारित है।
शोध लेखिका एवं आईएआरसी में कैंसर सर्विलांस की उपशाखा प्रमुख का मानना है कि महिलाओं में कैंसर विषयक चर्चा अक्सर स्तन आैर गर्भाशय कैंसर पर केंद्रित रहती है जबकि हर साल 70 साल तक की उम्र की तीन लाख महिलाएं फेफड़े के कैंसर से मर जाती हैं, 1,60,000 महिलाएं कोलोरेक्टल कैंसर से मर जाती हैं, दुनियाभर में कैंसर से मौत के तीन प्रमुख कारणों में ये दो हैं।””
”इसके अलावा, उच्च आय वाले कई देशों में पिछले कुछ दशकों में स्तन कैंसर के बजाय फेफड़े के कैंसर से महिलाओं की मौत के अधिक मामले आते हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि महिलाओं में कैंसर के कारणों एवं जोखिम कारकों की व्यापक समीक्षा की जरूरत है क्योंकि पुरूषों में कैंसर जोखिम कारकों की तुलना में महिलाओं में उन्हें कम समझा जाता है।

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