*आईआईटी कानपुर की ओर से तैयार मॉडल पर कार्ययोजना तैयार करने के सीएम ने दिए आदेश*
*ग्रामीण इलाकों के लोगों की सेहत की हो सकेगी मॉनिटरिंग, आठ डिवाइसों को किया गया तैयार*
*आठ डिवाइस से लगभग 80 पैरामीटर्स पर हो सकेगी जांच
*ई संजीवनी पोर्टल पर डाटा अपडेट होने से एक क्लिक पर मिलेगी हेल्थ से जुड़ी जानकारी*
लखनऊ। ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार जल्द ही एक कार्ययोजना तैयार कर रही है। यूपी के ग्रामीण अंचल में बसे लोगों को उनके ही गांवों में जांच, परामर्श और इलाज समय समय पर मिल सकेगा। साल 2017 से पहले डॉक्टरों व चिकित्सीय संसाधनों की कमी से जूझ रहे यूपी में समय से बीमारी की पकड़, टेस्ट, परामर्श व इलाज न मिलने से साधारण सी बीमारी गंभीर बीमारी में परिवर्तित हो जाती थी। जिससे पीजीआई, केजीएमयू जैसे बड़े संस्थानों पर रेफरल केसों व मरीजों का भार बढ़ने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को आईआईटी कानपुर की ओर से तैयार किए गए एक मॉडल पर बेहतर कार्ययोजना तैयार कर इसको प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
आईआईटी कानपुर की ओर से तैयार किए गए इस मॉडल से ग्रामीण इलाकों के लोगों की सेहत की मॉनिटरिंग की जाएगी। जिसके लिए आठ डिवाइस को तैयार किया गया है। इन आठ डिवाइस से लगभग 80 पैरामीटर्स पर जांच की जा सकेगी। जिसमें बीपी, शुगर, टाइफाइड, थायरॉइड, एनिमिया, सर्वाइकल कैंसर, पैनक्रियाज, किडनी, लीवर, यूरिन, पल्स, आंखों की जांच की जा सकेगी। गांव के लोगों की सेहत की मॉनिटरिंग कर उनकी जांच रिपोर्ट व हेल्थ डाटा ई संजीवनी पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।
*एक क्लिक पर दिखेगा गांव के लोगों का हेल्थ कार्ड*
इस मॉडल के अनुसार गांव के लोगों की जांच कर उनका हेल्थ डेटा ई-संजीवनी पोर्टल पर अपडेट होने से एक क्लिक पर लोगों के हेल्थ से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी। ऐसे में किसी भी बीमारी से ग्रसित मरीज की जांच रिपोर्ट से डॉक्टरों का पैनल उसको परामर्श देकर समय से दवाएं व इलाज दे सकेगा।
*भविष्य के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए संजीवनी बनेगा ये मॉडल*
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि इस मॉडल से आने वाले पांच सालों में यूपी के ग्रामीण इलाकों के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी पोर्टल पर रजिस्टर्ड होने से उस क्षेत्र में रोगों का वर्गीकरण किया जा सकेगा। भविष्य में रोगों के कारणों का पता लगाने में भी ये मॉडल संजीवनी बनेगा।