नयी तकनीक व रिसर्च गांवों तक पहुंचें: डिप्टी सीएम

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लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च डेंटल के क्षेत्र में हो रहे है। दांतों के इलाज में उच्चस्तरीय तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। नयी तकनीक व रिसर्च शहर तक सीमित न रह कर गांवों तक पहुंचाना चाहिए।

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यह बात डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी की तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर सम्बोधित करते हुए कही। काग्रेंस में 400 से अधिक देश विदेश के डेंटल विशेेषज्ञ भाग ले रहे है, जिनमें ओरल इम्प्लांटोलॉजी के क्षेत्र के प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ, चिकित्सक और शोधकर्ता शामिल हैं। मुख्यमंत्री के सलाहकार व सेवा निवृत आईएएस अवनीश अवस्थी, डॉ. जी.एन. सिंह पूर्व डीसीजीआई, केजीएमयू डीन डेंटल यूनिट डॉ. रंजीत पाटिल आदि मौजूद थे।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि डाक्टरों से अपील करते हुए कहा कि मंडलवार, जिला स्तर पर नये डाक्टरों को जोड़े आैर उन्हें नयी अपडेट व रिसर्च की जानकारी दें। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा केवल हेल्थ तक सीमित नहीं रही है। बल्कि सुंदरता से भी जुड़ती जा रही है। डिप्टी सीएम ने कहा कि आंकड़े तो नही है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक 25 प्रतिशत युवा दांत सुंदर दिखें। इसके लिए डेंटल डाक्टर के पास जाता है।

डेंटल साइंस में लगातार तरक्की हो रही है। अब बिना दांतो की तकलीफ को आसानी ठीक किया जा सकता है। डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि दांत बीमारियों के प्रवेश द्वार है। दांतों के लिए रात में ब्राश करना आवश्यक है। इस अवसर पर डिप्टी सीएम ने डेंटल के नये उपकरणों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए नयी तकनीक की जानकारी भी लिया।

आयोजक सचिव डा.एम शाहीक ने बताया कि तीन दिनों के दौरान कांग्रेस में मौखिक प्रत्यारोपण विज्ञान में नवीनतम प्रगति और व्यावहारिक मुख्य भाषण, प्रस्तुतियाँ, कार्यशालाएँ और पैनल चर्चाएँ रही है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ता प्रतिभागियों के साथ अत्याधुनिक अनुसंधान, नवीन तकनीकों और नैदानिक विशेषज्ञता को साझा करेंगे, जो सीखने और नेटवर्किंग के लिए सहायक होगे। केजीएमयू के वरिष्ठ डा.कमलेश्वर सिंह, प्रो. अमृत टंडन, डॉ. शाहनवाज खान, डॉ. विजय विश्वकर्मा, प्रो. सुबोध नात,ू चंद्रा डेंटल कालेज के वाइस प्रेसिंपल डा. अरविंद सिंह, डा. आंनद वर्मा, डा. सचिता वर्मा आदि शामिल थे।

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