लखनऊ। अस्पताल के वार्ड से लेकर आईसीयू, वेंटिलेटर तक मरीजों को संक्रमण से बचाना चुनौती है। क्लीनिकल में संक्रमण को कम करने के लिए अब नयी तकनीक आ गयी है। इस तकनीक से किसी क्लीनिक क्षेत्र में संक्रमण पहले से ज्यादा नियंत्रण में किया जा सकता है।
यह बात चकगजरिया स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान ने स्टरलाइज़ेशन मॉनिटरिंग और उपकरणों के सत्यापन पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का एचआईसीसी के अध्यक्ष व कैंसर संस्थाने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कही। सीएमई में विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों (एचएआई) को रोकने और रोगी सुरक्षा के उच्चतम मानकों की जानकारी दी। विशेषज्ञों ने कहा कि स्वास्थ्य पेशेवरों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम में देश भर से 80 से अधिक प्रतिभागियों ने संक्रमण की रोकथाम के लिए भाग लिया आैर नयी तकनीक पर चर्चा की।
केएसएसएससीआई में एचआईसीसी के अध्यक्ष डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा कि संक्रमण नियंत्रण के क्षेत्र में डाक्टरों के अलावा अन्य स्टाफ को भी शिक्षा और प्रथाओं को आगे बढ़ाने के लिए जानकारी देनी चांिहए।
उन्होंने कहा कि आपरेशन थियेटर, आईसीयू, वेंटीलेटर यूनिटों में संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए हमेशा विशेष प्रयास किया जाते है, लेकिन अब नयी तकनीक से संक्रमण की जानकारी व उसे नियंत्रण करके मरीजों को आैर ज्यादा सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कैंसर संस्थान संक्रमण रोकने के लिए नयी तकनीक के प्रयोग में लगातार प्रयासरत है।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख व आयोजक डॉ. मनीषा गुप्ता ने कहा कि डाक्टर, नर्स को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों जैसे दस्ताने, मास्क, गाउन आदि का उचित उपयोग कैसे किया जाए आैर कहां ,कब किया जाए, इसकी जानकारी होनी चाहिए। डॉक्टरों, नर्सों, संक्रमण नियंत्रण चिकित्सकों और अस्पताल प्रशासकों सहित स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सत्र में क्षेत्र के प्रतिष्ठित वक्ता और विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें डॉ अमित गर्ग, डॉ गौरव सिंह, डॉ मनोदीप सेन, डॉ नेहा जैन, डॉ के प्रगति, एमएस सुरेश कुमार, डॉ विपुल सिरवास्तव और डॉ मनीषा गुप्ता शामिल थे। उन्होंने मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों दोनों की सुरक्षा में संक्रमण नियंत्रण और प्रभावी नसबंदी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कई विषयों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।