लखनऊ। देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार अभी इसमें अभी कमी भी आने की उम्मीद कम है। विशेषज्ञ लगातार इस नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे है। ऐसे में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच पड़ताल के लिए अब नयी गाइड लाइन बना दी है, जिसके तहत अब निमोनिया के मरीज की भी कोविड-19( कोरोना वायरस) जांच होगी। बता दें कि अभी तक विशेषज्ञों ने माना है कि कोरोना का बढ़ता प्रकोप निमोनिया होने की प्रक्रिया से होकर गुजरता है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की नयी गाइडलाइन वैश्विक विपत्ति के दौरान सजग करने के लिए है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीज में कोरोना वायरस के जो लक्षण बताते हैं वह निमोनिया से काफी मिलता-जुलते है। होता यह है कि इलाज कर रहे डाक्टर कई बार जिस बीमारी को आप निमोनिया समझ रहे हैं, वह आगे चलकर कोविड -19 बीमारी हो जाती है। राजधानी के सभी चिकित्सा संस्थानों में तथा अस्पतालों में नया प्रोटोकॉल लागू कर दिया गया है। ऐसे में केजीएमयू में भर्ती निमोनिया के मरीजों का स्वैब कलेक्शन कर सैंपल लैब भेज दिया गया है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि 20 मार्च को जारी नयी गाइड लाइन प्राप्त हो गयी है।
उन्होंने बताया कि नयी गाइड लाइन में अब इसमें एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस को भी जोड़ा गया है। इसके तहत सांस रोगियों में निमोनिया या लंग इंफेक्शन होने पर भी कोरोना कोविड-19 की जांच कराना अनिवार्य होगा। इस नये नियमों का पालन देश के सभी अस्पतालों व चिकित्सा संस्थानों को करना होगा, ताकि कम्युनिटी में कोरोना वायरस फैल तो नही रहा है। इसकी जांचों के बाद रिजल्ट से पुष्टि हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा डायबिटीज, फेफड़े की सीओपीडी, आइएलडी के रोगियों, आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीज में भी निमोनिया अधिक होने का खतरा ज्यादा होता है।
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