प्रेम का कोई सिद्धांत नहीं होता- मोरारी बापू 

0
1377

लखनऊ – प्रेम (प्यार) का कोई सिद्धांत नहीं होता है। प्रेम सत्य है, प्रेम करुणा है और यही प्रेम है। प्रेम परम विद्या है। प्रेम से सभी के दिलों को जीता जा सकता है। प्रेम करने वालों का कोई दुश्मन नहीं होता है। जो लोग प्रभू राम को प्रेम करते हैं, उन्हें और कुछ समझ नहीं आता है। यह विचार 11 वर्ष बाद लखनऊ में रामकथा करने आए संत शिरोमणि मोरारी बापू ने शृद्धालुओं के सामने व्यक्त किए। प्रेम यज्ञ समिति की ओर से सेवा अस्पताल परिसर में चल रही नौ दिवसीय कथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने अरण्य काण्ड के दौरान प्रभु राम और सीता के प्रेम का वर्णन रविवार को किया। उन्होंने कहा कि जब प्रभु राम चित्रकूट में थे। तब वह फूलों से माता सीता का फूलों से शृंगार कर रहे थे। तब ऐसा लग रहा था कि भगवान मानो प्रकृति, भक्ति का शृंगार कर रहे हो। प्रभु के प्रेम में तल्लीन थे। मोरारी बापू ने वर्तमान (कलयुग) परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि इस समय लोग अपनी पत्नियों को समय नहीं दे पाते हैं। और यदि वह पत्नी किसी दूसरे से बात करती दिखती है तो उससे झगड़ा तक करते हैं। पर, वह जिससे बात कर रही है, उसके संबंध और भाव को नहीं समझते। पुरुषों को अपनी पत्नियों से दूरी नहीं बनानी चाहिए। बल्कि उन्हें प्रभु की तरह से प्रेम करना चाहिए।

Advertisement

माफी मांगने से दूर हो जाते हैं कष्ट –

उन्होंने आगे कहा कि प्रभु के प्रेम को देख रहा इंद्र का बेटा वहां कौवा का भेष रखकर जाता है और माता सीता के पैर में चोंच मारता है। वह देखना चाहता था कि यह भगवान ही हैं या नहीं। इस पर प्रभु राम का प्रेम भंग हो जाता है। वह फूलों का ही धनुष-बाण बनाकर कौवा रूपी इंद्र के बेटे को मारते हैं, जिसके बाद वह भागता है और नारद जी से मिलता है। तब नारद जी उसे बताते हैं कि तुम्हें माफी प्रभु राम ही दे सकते हैं। तुम उनकी शरण में जाओ। यहां पर संत मोरारी बापू का आश्य है कि गलती करना मनुष्य का स्वाभाविक पक्ष है। पर, उस गलती का अहसास होने के बाद माफी मांग लेने से सारे कष्ट और बुराई दूर हो जाती है।

संत की शरण में मिलता है सत्संग –

मोरारी बापू ने रामकथा के दौरान प्रभु के प्रेम का वर्णन किया। शृद्धालू प्रभु राम के प्रेम वर्णन को सुनकर भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि संत की शरण में जाने से लोगों को सत्संग (अच्छी संगति) मिलता है। जिससे वह व्यक्ति बुराई से दूर रहता है। इसलिए ही जब मनुष्य को कहीं शरण नहीं मिलती तो वह भगवान या संत की शरण में पहुंच जाता है। जहां उसके मन को तसल्ली मिलती है। तभी वह सच्चे सुख का अनुभव कर पाता है।

मोरारी बापू ने कहा कि एक फ्रेंच कवि ने कविता में कहा कि प्रेम तू क्या है, मुझे खबर नहीं।
लेकिन तेरे कारण जो मैं बन गया वो मुझे पता है। तूने जो मुझे बना दिया वो न किसी धर्मग्रंथ में है न ही किसी पंथ में। हे देवता तूने जो मुझे दिया है। वह न मुझे मेरा पुरुषार्थ दे सकता है न ही प्रारंभ। प्रेम उपदेश नहीं देता, प्रेम तो गाता है। वह अंधेरे के बारे में प्रवचन नहीं देता, वह जीवन में प्रकाश कर देता है।

उन्होंने कहा कि सुर से स्वर की महिमा अधिक है। स्वर से नाद की महिमा अधिक है। नाद से भी अनहद नाद की महिमा है। हिमालय को यह नहीं पता है कि उसमें कितनी शीतलता है। सूर्य को यह नहीं पता कि उसमें कितनी ऊष्णता है। गंगा जी को नहीं पता कि उनमें कितनी पवित्रता है। पृथ्वी को नहीं पता कि उसमें कितने खनिज हैं। आसमान को भी नहीं पता है कि उसमें कितने सितारे हैं। वैसे ही एक पूर्ण प्रेमी को यह नहीं पता रहता कि उसमें कितना प्रेम भरा हुआ है।

भंडारे में शृद्धालुओं ने खाया प्रसाद –

प्रेम यज्ञ कथा समिति के मीडिया प्रभारी भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि राम कथा समापन के बाद रविवार दोपहर को विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने बताया कि मोरारी बापू सोमवार को सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक रामकथा कहेंगे।

Previous articleसत्संग से होता है चरित्र निर्माण- मोरारी बापू 
Next articleमोरारी बापू की रामकथा – मूल को पकड़कर नए फूल खिलाओ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here