लखनऊ। डा.राम मनोहर लोहिया संस्थान प्रशासन ने लाखों रुपये के गड़बड़ घोटाले में चार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। बताया जाता है कि अपने जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने के लिए आरोपी कर्मचारियों और एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। हालांकि घोटाले के तह तक जाने के लिए जांच कमेटी बना दी गई है।
बताते चले कि लोहिया संस्थान की ओपीडी में प्रतिदिन दो से तीन हजार मरीज आते है। प्रतिदिन करीब नौ से दस लाख रुपये संस्थान में विभिन्न मदों में शुल्क के रूप में जमा होता है। पारदर्शिता के लिए हॉस्पिटल इनफॉरमेशन सिस्टम (एचआईएस) साफ्टवेयर संचालित किया जा रहा है। मरीज व उनके तीमारदार नगद व ऑनलाइन शुल्क जमा करते हैं। बताया जाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने मार्च में बैंक स्टेटमेंट व एचआईएस इंट्री से कार्ड स्वाइप मशीन से किए गए लेन-देन की मिलान करना शुरू किया। तो लेनदेन के शुल्क में अंतर मिलना शुरू हुआ। मामला संदिग्ध होने के आधार पर 16 मार्च को वित्त नियंत्रक की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई थी।
प्राथमिक जांच में पाया गया कि चार कर्मचारियों ने सबसे ज्यादा ऑनलाइन पैसे जमा किए है।
कमेटी ने जांच शुरू की। जांच में पाया कि चार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की आईडी से सबसे ज्यादा ऑनलाइन लेन-देन किया गया। गड़बड़ियों के आधार पर चारों की आईडी का ब्यौरा निकाला गया। फिर एचआईएस व बैंक स्टेटमेंट धनराशि का अंतर मिला।
डॉ. राजन भटनागर ने बताया कि एजेंसी से आरोपित चारों कर्मचारियों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं। चारों आरोपी व एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। जांच के लिए चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है। हालांकि संस्थान के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है कि लंबे अरसे से चला आ रहा गड़बड़ घोटाला आखिर पहले क्यों नहीं पकड़ा गया। चार कर्मचारियों को बर्खास्त करके कुछ जिम्मेदार अधिकारी अपना दामन बचाने में जुटे हुए हैं।