लखनऊ। सिटी मांटेसरी स्कूल अलीगंज में कक्षा नौ के बेहोश होकर मौत का कारण जांच में कुछ भी निकलें, लेकिन अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक बार फिर सोचने को विवश कर दिया है। बच्चों में मेंटल हेल्थ हो या फिजिकल हेल्थ दोनों एगंल से अभिभावकों के साथ स्कूल में अध्यापकों की जिम्मेदारी बनती है। दोनों को अलर्ट रहना होगा।
बदलती शिक्षा में बच्चों पर अब जरुरत से कई गुना ज्यादा उम्मीदों का बोझ है। उन पर क्लास में बेहतर करना, स्पोर्टस में भी अच्छा करना है। सिगिंग डासिंग सहित करिकुलर एक्टिविटीज में परफार्म करने का प्रेशर होता है। देखा गया हंै कि बच्चों पर प्रेशर घर से लेकर स्कूल तक रहता है। यह साइकोजिकल व फिजिकल स्ट्रेस दोनों को पैदा करता है।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. देवाशीष शुक्ला बताते है कि बच्चों में यह लक्षण दिखे तो तुरंत अलर्ट होना चाहिए।
– बच्चें में पहले के व्यवहार से वर्तमान के व्यवहार में परिर्वतन दिखने लगे तो अभिभावक व स्कूल टीचर ध्यान दें।
– बच्चा चिड़ चिड़ा हो जाए, गुमसुम रहने लगे, बात करने पर आक्रोशित हो जाए।
– बच्चा बहुत फ्रस्टेटड रहे या परेशान रहे आैर अपनी परेशानी को शेयर भी न करना चाहें।
– ज्यादातर एकांत में रहना चाहे, नींद पूरी तरह होती हो।
केजीएमयू के लॉरी कार्डियोलॉजी के डा. गौरव चौधरी बताते है कि अगर बच्चें में यह लक्षण दिखे तो किसी प्रकार समझौता अभिभावक न करें आैर विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लें।
– अगर बच्चें स्वास्थ्य सम्बधी कोई सही परेशानी लग रही हो, तो उसे पर ध्यान दें। जबरन स्कूल न भेंजे।
– पहले से बुखार या ब्राीथलेसनेस आदि लक्षण दिख रहे हो, तो डाक्टर से परामर्श लें।
– बढ़ते बच्चों का रूटीन चेकअप कराने में लापरवाही न बरतें। बदलते परिवेश में बच्चों को थायराइड, शुगर, ब्लड प्रेशर की दिक्कतें होनी लगी है।
– चेस्ट में पेन लगातार बना रहता हो, सांस फूलती हो, तो डाक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।