लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में गरीबों का इलाज भी नहीं किया जा रहा है। यहां के ट्रामा सेंटर में बीपीएल कार्ड होने के बावजूद पैर की टूटी हड्डी के मरीज से पचास हजार रुपये न देने पर इलाज नहीं किया गया। मरीज के परिजनों का आरोप है कि डाक्टर ने यह कह कर भगा दिया कि जब रुपये हो जाए तब इलाज कराने के चले आना। मरीज इलाज के इंतजार में रात भर सेंटर के बाहर पड़ा रहा। कई जगह फरियाद करने के बाद कोई सुनवाई न हेाने पर मरीज वापस चला गया।
काकोरी निवासी कल्लू के पैर में फ्रेक्चर होने के बाद उसे स्थानीय डाक्टरों ने प्लेट डालने के लिए सर्जरी कराने की सलाह दी थी। इसके लिए उसे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। ट्रामा सेंटर आने के बाद कल्लू को आर्थोपैडिक विभाग में भर्ती किया गया। पत्नी ऊषा का आरोप है कि डाक्टरों ने जांच पड़ताल के बाद टूटे पैर की सर्जरी करके राड डालना बताया। इसके लिए पहले तो बीस हजार रुपये बताया आैर पचास हजार रुपये का खर्च बिना दवा के बता दिया। उन्होंने बताया कि जब पचास हजार रुपये न होने का बताया तो जाने का निर्देश दे दिया गया।
पत्नी ऊषा ने बताया कि डाक्टरों सर्जरी करने के लिए कुछ रुपये कम करने व उसके जुगाड़ के लिए समय भी मांगा। इसके बाद भी डाक्टर पचास हजार रुपये देने पर आपरेशन देने के लिए अड़े रहे। रुपये का जुगाड़ न होने पर उसे बाहर निकाल दिया गया। सेंटर के बाहर मरीज पड़ा रहा आैर परिजन अंदर डाक्टर से फरियाद करते रहे। कोई इलाज न मिलने पर वापस चले गये। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि इस बारे में ट्रामा सेंटर में अार्थोपैडिक विभाग से जानकारी मांगी जाएगी।