इंडियन डेंटल एसोसिएशन के डेंटल शो में विशेषज्ञों ने दी आधुनिक तकनीकों की जानकारी
यूपी डेंटल शो का दूसरा दिन
लखनऊ। टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने के लिए अब तार नहीं लगाना पड़ रहा है। नजर न आने वाली पतली शीट के माध्यम से दांतों को सीधा किया जा सकता है। इनको एलाइनर बोला जाता है। खाना खाते समय और ब्रश करते समय इसको निकाला भी जा सकता है। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के डेंटल शो के दूसरे दिन ऐसे ही नई तकनीक के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी।
मुंबई से आए डॉ. शिशिर सिंह ने बताया कि नकली दांत लगाने के लिए उनकी माप बेहद जरूरी है। परंपरागत तौर पर विभिन्न पदार्थों से तैयार शीट को मुंह में रखकर इसकी माप ली जाती है। इस प्रक्रिया में काफी दिन तक मुंह खराब रहता है। काफी लोगों को इस प्रक्रिया में उल्टी महसूस होती है। इसके बावजूद माप उतनी सटीक नहीं हो पाती है। डिजिटल स्कैनर के रूप में अब इसका विकल्प आ गया है। इस विकल्प की वजह से स्कैन के माध्यम से दांतों की सही माप ली जा सकती है। इससे दांत ज्यादा सटीक और अन्य दांतों के समान नजर आते हैं।
डॉ. दिव्य मेहरोत्रा ने बताया कि अब उन मरीजों को भी दांत लगाना संभव है जिनके जबड़े ही हड्डियां नहीं होती हैं। असल में दांतों को इन्हीं हडि्डयों परबिठाया जाता है। हड्डी न होने से दांत को बिठाना संभव नहीं है। अब कुछ इंप्लांट लगाकर दांत लगाए जा सकते हैं। दुर्घटना होने या फिर ब्लैक फंगस के मामले में ऐसी स्थिति आ सकती है। उन मामलों में यह तकनीक कारगर होगी। डॉ. विजय मोहन के अनुसार भारत में नकली दांत लगाने की परंपरा काफी लंबे समय से है। ऋग्वेद काल की मूर्तियों में इसके प्रमाण मिले हैं। उन्होंने बताया कि ऑल ऑन सिक्स नाम की तकनीक के माध्यम से सारे दांत लगाना संभ्रव हो पाता है।
कार्यक्रम के चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ. आशीष खरे ने कहा कि सीबीसीटी तकनीक इंप्लांट लगाने के लिए बेहद जरूरी है। इससे जबड़ों का सीटी स्कैन किया जाता है। इंप्लांट लगाने में इस तकनीक की वजह से आकार और सटीकता की समस्या नहीं होती है। कार्यक्रम में संगठन के उपाध्यक्ष डॉ. प्रदीप अग्रवाल के साथ ही डॉ. राजीव गुलाटी, डॉ. अंकुर धवन औरडॉ. रमेश भारती आदि उपस्थित रहे।