अब बुजुर्गों को नहीं करानी होगी हार्ट की जटिल सर्जरी

0
680

लखनऊ । बुजुर्गो को हार्ट का वाल्व बदलवाने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी नहीं करानी होगी। अब उन्हें टैबर तकनीक बिना हार्ट ओपन किये ही वाल्व लगा दिया जाएगा। इसकी तकनीक की जानकारी डेनमार्क के कोपहेन विश्व विद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग के डा. लार्ससौंडरगार्ड ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्विद्यालय के लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग के 41 वें स्थापना दिवस समारोह में दी। उन्होंने इस तकनीक की जानकारी देने के साथ ही सर्जरी भी करके दिखायी आैर हार्ट के कई बीमारियों की तकनीक की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम में केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट, पद्मश्री प्रो. मंसूर हसन, कार्डियक विशेषज्ञ डा. आर के शरन सहित अन्य वरिष्ठ विशेषज्ञ मौजूद थे।

Advertisement

कलाम सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि बुजुर्गो में अक्सर वाल्व सिकुड़ने की दिक्कत हो जाती है। उम्र के कारण ओपन हार्ट सर्जरी करने में रिस्क रहता है। ऐस में नयी तकनीक टैबर से पैर की रक्तवांिहकाओं से वाल्व को ले जाकर हार्ट में सिकुड़ने वाले स्थान पर सेट कर दिया जाता है। इससे वाल्व की सिकुड़न समाप्त हो जाती है। अभी तक इस तकनीक से हार्ट की आठ मरीजों के सर्जरी करके वाल्व को सफलता पूर्वक डाला गया है। प्रोजेक्ट के तहत इन मरीजों से वाल्व का शुल्क नहीं लिया है। अभी वाल्व लगाने का प्रोजेक्ट के तहत देश भर के विभिन्न मेडिकल कालेजों में चल रहा है। केजीएमयू में अभी तक यह प्रोजेक्ट सफलता पूर्वक चल रहा है। इस वाल्व की कीमत विदेशी स्तर पर लगभग 25 लाख रुपये है, लेकिन अपने देश में यह वाल्व का निर्माण किया जा रहा है।

इसकी देश के बड़े मेडिकल कालेज में मरीजों को निशुल्क लगाया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि पचास वर्ष के हो जाने के बाद अक्सर लोगों में हार्ट बीट अनियमित हो जाती है। इस दौरान हार्ट के लेफ्ट चैम्बर में ब्लड की क्लाटिंग बनने लगती है। इसको भी पैर की आर्टरी के माध्यम से जाकर ब्लड की क्लाटिंग को दूर कर दिया जाता है आैर एक विशेष प्रकार छतरी से चैम्बर के छेद को बंद कर दिया जाता है। कार्यक्रम में विभाग के प्रमुख डा. वीएस नारायण ने बताया कि हार्ट में पीएफओ नाम का छेद आमतौर पर पाया जाता है। अगर मरीज को लकवा मार जाता है आैर उसे लकवा मारने का कोई कारण समझ नहीं आता है तो विदेशों में पीएफ ओ छेद को बंद कर दिया जाता है। वहां आमतौर इसकी जानकारी होने पर इसको बंद कर दिया जाता है। कार्यक्रम में डा. एस के द्विवेदी , डा. गौरव सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleपहले यहां बयां कीजिये दिल की हकीकत
Next articleसेफ ब्लड के लिए शुरु होगा सेंट्रल नेट टेस्टिंग सेंटर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here