लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में आलम्बन एसोसिएट चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विश्व गुर्दा दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता पद यात्रा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संजय गांधी पीजीआई के गुर्दा विभाग के चिकित्सकगण, कर्मचारी एवं शहर से लगभग पाँच सौ लोगों ने भाग लिया। जागरूकता के लिए पदयात्रा एपेक्स ट्रामा सेन्टर से शुरू होकर इमरजेन्सी मेडिसिन एवं रीनल ट्रांसप्लान्ट सेन्टर तक पहुंचा। उसके उपरान्त यह एक सभा, संगोष्ठी में बदल गयी।
नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो नारायन प्रसाद ने बताया कि डायबिटीज, बल्ड प्रेशर, मोटापा जो कि ट्रेडिसनल रिस्क फैक्टर है, जो सी०के०डी० को बढ़ा रही है उससे भी अधिक भयावह है, जैसे कि वायु प्रदूषण, किसानों द्वारा प्रयोग में लाने वाली इन्सेक्टिसाईड, पेस्टीसाईड हरविसाईड, आदि भी जोखिम बढ़ा रहें है। बार-बार गर्मी में काम करना, पानी कम पीना रिकरेन्ट डिहाईड्रेसन से गुर्दे खराब हो रहे है। संस्थान के निदेशक प्रो आर०के० धीमन ने खान-पान संबन्धी जानकारी दी और बताया कि घर का खाना ही स्वस्थ खाना है। डा० अंसारी ने बताया कि अल्टरनेटिव मेडिसिन, जो प्रमाणित नही है, भी गुर्दे को खराब कर रहे हैं।
् संदीप कुमार आलंबन चोरिटेबल ट्रष्ट के प्रेसिडेन्ट ने बताया कि आर्गन डोनेसन की बहुत आवश्यकता है और उत्तर प्रदेश में लगभग तीस हजार लोगों को आर्गन की आवश्यकता है।गुर्दे के स्वास्थ्य की दृष्टि से,डायबिटीज, मधुमेह है,उच्च रक्तचाप रहता है।यदि आप शारीरिक रूप से मोटे हैं अथवा धूम्रपान करते हैं।तथा आप 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। अनुवांशिक रोग हो
एक अध्ययन के अनुसार विश्व में 850 मिलियन लोग विभिन्न कारणों से किडनी रोग से पीड़ित हैं। क्रोनिक किड़नी रोग हर साल कम से कम 2.4 मिलियन लोगो की मृत्यु का कारण है और अब यह मृत्यु का छठा सबसे तेजी से बढने वाला कारण है। ऐसा अनुमान है कि यह 2040 तक. मृत्यु का पाँचवा सबसे प्रमुख कारण बन जायेगा। ए.के.आई. एक महत्वपूर्ण कारण है जो कि विश्व में 13 मिलियन से अधिक लोगो को प्रभावित करती है और ऐसे रोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पाये जाते है।
इसके अलावा, सी.के.डी. और ए.के.आई. हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मोटापा, साथ ही एच.आई.वी., मलेरिया, तपेदिक और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों सहित अन्य बीमारियों और जोखिम कारकों से रूग्णता और मृत्यु दर को बढ़ाने में, इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा बच्चों में सी.के.डी. और ए.के.आई. न केवल बचपन के दौरान पर्याप्त रूग्णता और मृत्युदर का कारण बनते है, बल्कि बचपन से परे चिकित्सा सम्बन्धी समस्याओं का भी कारण बनता है।
वायु प्रदूषणः 2.5 पी०एम० से छोटी कण, सांस की नली के माध्यम से रक्त मे चला जाता है और फिर किडनी में पहुंच कर किडनी को खराब करता है।भारी धातु जैसे मरकरी, कैडमियम, आरसेनिक, लेड आदि ।हीट स्ट्रोक
बचाव के उपाय के लिए
नमक का कम सेवन करें।
चीनी का कम सेवन करें।
उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह को नियंत्रित करें ।मोटापा को कन्ट्रोल करें।