लखनऊ। स्कूलों की ऑनलाइन क्लासेज से लेकर वर्क फार्म होम में कम्प्यूटर तथा मोबाइल के भरोसे ही लोगों का काम चल रहा है। ऑनलाइन क्लासेज कम से कम तीन से चार घंटा तक चलती है आैर आफिस के काम को लेकर भी लोग पांच से छह घंटे कम्प्यूटर या लैपटाप के काम करते रहते है। ऐसे में अब बच्चों से लेकर बड़ों तक में कम्प्यूटर विजन सिड्रोंम बीमारी की चपेट में आ रहे है। ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों का ओवर वर्डन हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों से लेकर बड़ों तक में आंखों में ड्राईनेस, सिर दर्द , आंखों से पानी निकलने जैसी शिकायते आ रही है।
कम्प्यूटर विजन सिंड्रोंम के बारे में वरिष्ठ नेत्र सर्जन डा. जेके बंसल बताते है कि कोरोना महामारी के बाद लॉकडाऊन में शुरू हुआ वर्क फ्राम होम व बच्चों की आनलाइन क्लासेज लगातार चलने के कारण आंखों की समस्या बढ़ रही है। उनके यहां ओपीडी में पचास प्रतिशत केस इसी समस्या को लेकर आ रहे है। इनमें सबसे ज्यादा कम्प्यूटर विजन सिंड्रोंम बीमारी की चपेट में आ रहे है। उन्होंने बताया कि बच्चा तीन से चार घंटा तक लैपटाप, कम्प्यूटर या फिर मोबाइल के सामने बैठ रहा है। उसे इस बीमारी की आशंका ज्यादा हो जाती है। ऐसे बच्चों में ब्लिंक रेट कम हो जाता है। अक्सर बच्चे बिना पलक झपकाये ही स्क्रीन पर देखा करते है आैर बहुत दूरी से, उन्हें बीच- बीच में पलक झपकाना बहुत जरुरी है। आंखों पर स्ट्रेन ज्यादा पढ़ने लगता है। लगातार स्क्रीन के सामने बैठे रहने से आंखों में ड्राईनेस शुरू हो जाती है। यह बच्चों के साथ बड़ों तक में लगातार देखी जा रही है। इसके लिए डाक्टर से परामर्श के बाद आईड्राप जरूर डालते रहना चाहिए। डा. बंसल ने बताया कि ऑन लाइन क्लासेज के बाद बच्चा विडियो या गेम या लैप टाप मोबाइल पर गेम खेलता रहता है। यही बच्चों को ऑन लाइन पढ़ाई के बाद ऐडिशनल वर्क इतना ज्यादा दे दिया जाता है कि वह लैपटाप, मोबाइल पर चिपका रहता है। इन सब का सीधे असर शरीर के अलावा आंखों को ज्यादा प्रभावित करता है। अभिभावकों को चाहिए कि ऑन लाइन में एक क्लास समाप्त होने के बाद दूसरी क्लास अटैंड करते हुए बीस मिनट के बाद अपनी आंख को बंद करते हुए पलके झपकाते रहना चाहिए। इससे ब्लिक रेट कम नहीं होता है।
Aakho ke niche gadhe pad gaye h