लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ ने सख्त रूख अपनाते हुए सरकारी दफ्तरों में पान, पान मसाला व गुटखा खाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। तम्बाकू सिगरेट के खिलाफ मुख्यमंत्री के इस कदम का नशा मुक्ति आन्दोलन, आईएमए व पीएमएस समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी उचित ठहराया है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के कुलपति प्रो. रविकान्त ने कहा कि मुख्यमंत्री का सरकारी दफ्तरों में तम्बाकू सिगरेट पर प्रतिबन्ध स्वागत योग्य फैसला है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में मुख का कैंसर सबसे अधिक होता है। कई बीमारियों पर रोक लगेगी। नशा मुक्ति आन्दोलन के संयोजक बृजनन्दन यादव ने प्रदेश स्वस्थ व समृद्ध तभी होगा जब यहां के युवा नशाखोरी से दूर रहकर स्वस्थ व समृद्ध होंगे। नशा मुक्ति आन्दोलन प्रदेश सरकार से मांग करती है कि उत्तर प्रदेश में पूर्ण रूप से तम्बाकू पर प्रतिबंध लगे।
कई संगठनों की प्रतिक्रिया –
केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने कहा कि तम्बाकू व इससे बने उत्पादों से 40 प्रकार के कैंसर और 25 प्रकार की बीमारियां होती हैं। 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों को होता है। होम्योपैथिक चिकित्सक डा. अनिरूद्ध वर्मा ने मुख्यमंत्री के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि आशा है कि गुटखा व पान मसाला के साथ ही शराब पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा। प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डा. अशोक यादव ने कहा कि नशा समाज के हर तबके को गहरे से जकड़े हुए है। तम्बाकू व सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।