लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग ने लिवर प्रत्यारोपण में सफलता प्राप्त कर ली है। लिवर प्रत्यारोपित मरीज को आज डिस्चार्ज कर दिया गया। अब पहले लिवर प्रत्यारोपण की सफलता से उत्साहित केजीएमयू के विशेषज्ञ डाक्टर अप्रैल में दूसरा लिवर प्रत्यारोपण भी करने की तैयारी में है। आज पत्रकार वार्ता में केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने लिवर प्रत्यारोपण सफल होने की अधिकृत घोषणा की आैर प्रत्यारोपण करने वाले मरीज व लिवर दान करने वाली पत्नी से मुलाकात भी की। यहां पर गैस्ट्रोसर्जन डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि जब केजीएमयू मरीज जब आया था कि स्थिति काफी गंभीर थी। कई जांचे कराने के बाद एक मात्र उपाय लिवर प्रत्यारोपण होने के कारण उससे व परिजनों से वार्ता की गयी।
जिसमें पत्नी लिवरदान करने के लिए व पति प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो गये। इसके बाद उनकी टीम प्रत्यारोपण की तैयारी शुरू की। प्रत्यारोपण करने से पहले कई चरणों में प्रत्यारोपण के विभिन्न पहलुअों को कसौटी पर परखा गया। कुलपति डा. भट्ट ने बताया कि गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी के साथ रेडियोथिरेपी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन व एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम मौजूद थी। सभी विशेषज्ञों की भूमिका महत्वपूर्ण थी। इस प्रत्यारोपण के लिए मैक्स दिल्ली से डॉ. सुभाष गुप्ता की टीम को भी बुलाया गया था।
डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि मरीज व डोनर का लिवर छह माह में सामान्य लीवर की भांति कार्य करने लगेगा। हालांकि उसे जीवन भर कुछ दवाएं(इम्यूनो सेपरेशन मेडिसिन) लेना होगा, ताकि शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण न हो। उन्होंने कहा कि अप्रैल में एक और ट्रांसप्लांट प्रस्तावित है, जिसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी है। डोनर के ट्श्यिू, ब्लड टेक्रोलिमस टेस्ट किए जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ही ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।
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