पहला सेक्टर स्टेम सेल बैक…..

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बनने वाला पहला पब्लिक सेक्टर स्टेम सेल बैंक बनाने का प्रस्ताव एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया है। पहले इस बैंक को शुरू करने के लिए नौ करोड़ रुपये का बजट दिये जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। अब एक बार फिर यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है। स्टेम सेल बैंक न होने से यहां रिसर्च कार्य में भी दिक्कते हो रही है।

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किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बनने वाला पहला पब्लिक सेक्टर स्टेम सेल बैंक बनाने का प्रस्ताव एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया है। पहले इस बैंक को शुरू करने के लिए नौ करोड़ रुपये का बजट दिये जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। अब एक बार फिर यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है। स्टेम सेल बैंक न होने से यहां रिसर्च कार्य में भी दिक्कते हो रही है।

लगातार बढ़ती जा रही स्टेम सेल की मांग को देखते हुए केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग ने पब्लिक सेक्टर का पहला स्टेम सेल बैक बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस स्टेम सेल बैंक को शुरू करने से डा. तूलिका चंद्रा के नेतृत्व में एम्लाइकल कार्ड स्टेम सेल को स्त्री रोग विभाग (क्वीन मेरी) से एकत्र करके प्रयोग भी किया गया था कि किस तरह बैंक के लिए कार्य किया जाना है। इसका प्रयोग केजीएमयू में हो रहे प्रयोग में किये जाने का प्रस्ताव था। बताया जाता है कि ऐसे तो निजी क्षेत्र में कोई भी शुल्क देकर अपने बच्चे की एम्लाइकल कार्ड स्टेम सेल को एकत्र कर सकते है, लेकिन केजीएमयू में बनने वाले स्टेम सेल बैंक में निशुल्क एम्लाइकल कार्ड स्टेम सेल एकत्र किया जाने का प्रस्ताव है।

यहां पर कोई की बीमारी होने पर स्टेम सेल मैच होने पर दे दिया जाएगा। ताकि सभी को इलाज मिल सके। इस पब्लिक सेंटर में शुरू किये जाने वाले बैंक का शुरु करने का प्रस्ताव भी तैयार हो चुका है। इसमें तैनात किये जाने वाले मैन पॉवर की संस्तुति भी मिल गयी है। बजट भी नौ करोड़ रुपये का तैयार किया जा रहा है। बस बजट रिलीज नहीं हो पा रहा है। इसके कारण स्टेम सेल बैंक निर्माण का प्रस्ताव रूका हुआ है। केजीएमयू के डाक्टरों का भी मानना है कि शोध कार्य लगातार केजीएमयू में बढ रहे है। इसके लिए स्टेम सेल बैंक का होना बेहतर हो सकता है। इस बारे में ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की प्रमुख डा. तूलिका चंद्रा का कहना है कि अभी प्रस्ताव शासन के पास है। बजट मिलने के बाद ही कुछ आगे किया जा सकता है।

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