लखनऊ। एसजीपीजीआई ने प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक आयाम स्थापित कर दिया है। यहां प्रदेश का पहला टू-वे स्वॉप यानि पेयर्ड किडनी प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक किया गया है। स्वैप किडनी प्रत्यारोपण में पेयर्ड किडनी एक्सचेंज किया गया है, इस प्रत्यारोपण में एक जोड़ी के डोनर किडनी का दूसरे के साथ आदान प्रदान किया जाता है, जिनका आपस में कोई संबंध नहीं था। यह अपने आप में संस्थान में पहली बार हुआ है। यह टिश्यू एंड ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट में बदलाव के कारण की संभव हो पाया है।
पीजीआई के यूरोलॉजी विभाग और नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त प्रयास से इस प्रत्यारोपरण को किया गया। आजमगढ़ निवासी 53 वर्षीय महिला का किडनी की गंभीर बीमारी का इलाज वर्ष 2018 से डॉ. नारायण प्रसाद द्वारा किया जा रहा था। तबसे वो डायलिसिस पर चल रही थी। डाक्टरों का कहना है कि उनके पति किडनी देने के लिए कहे थे,लेकिन जांच में इम्युनोलॉजिकल मैचिंग न हो पायी। जिसके कारण प्रत्यारोपण नहीं हो सका। दूसरी ओर राजधानी निवासी 47 वर्षीय पुरुष भी वर्ष 2019 से डायलिसिस पर चल रहे थे। इनकी पत्नी किडनी देने के लिए आगे आयी थी, लेकिन यहां भी इम्युनोलॉजिकल मैचिंग न हो पायी आैर प्रत्यारोपण टल गया। यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि एक केस में पति की किडनी पत्नी में और दूसरे केस में पत्नी की किडनी पति से मैच नहीं हो रही थे, जिसके बाद दोनों के क्रास मैच के बारे में चर्चा की गयी। इसको आगे बढ़ाने के लिए जिसके लिए पहले दोनों परिजनों को जानकारी देकर संस्तुति ली गयी। उन्होंने बताया कि नयी नियम में टिश्यू एंड ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट में बदलाव के कारण अब इस प्रकार से किडनी प्रत्यारोपण किया जा सकता है। ऐसे में जब क्रॉस इम्युनोलॉजिकल मैचिंग की गई तो दोनों पेशेंट में किडनी मैच हो गयी। इसके साथ ही अस्पताल की कमेटी द्वारा भी इस स्वॉप ट्रांसप्लांट की अनुमति दी चुकी थी, जिसके बाद दोनों डोनर की किडनी को एक्सचेंज करते हुए स्वॉप ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया गया। जहां पहले केस के तहत डोनर पति की किडनी को दूसरे केस में और दूसरे केस के डोनर पत्नी की किडनी पहले केस में सफलता पूर्वक लगा दी गयी, जो संस्थान के साथ प्रदेश में भी इस तरह का पहला प्रत्यारोपण फिलहाल डोनर और मरीज सभी की हालत स्थिर है।
प्रत्यारोपण का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. अनीस श्रीवास्तव द्वारा किया गया। उनकी टीम में डॉ. उदय प्रताप सिंह, डॉ. संजय सुरेखा, एनस्थिसिया विभाग के प्रो. अनिल अग्रवाल, प्रो. संजय धीरत, डॉ. दिव्या श्रीवास्तव और नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो. अनुपमा कौल, डॉ. धमेंद्र भदौरिया, डॉ. मानस पटेल आदि अन्य स्टॉफ शामिल रहा. निदेशक प्रो. आरके धीमन ने पूरी टीम को इसके लिए बधाई दी।