न्यूज। एम्स भोपाल रासायनिक-जैविक-रेडियो विकिरण-परमाणु आैर विस्फोटक हमलों या आपदाओं (सीबीआरएनई, डिजास्टर): से निपटने के लिये डॉक्टरों के लिये चिकित्सा प्रबंध का एक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जुलाई 2019 से प्रारंभ करने जा रहा है। एम्स, भोपाल के निदेशक प्रो. सरमन सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि सीमा पार से होने वाले सीबीआरएनई हमलों या आपदाओं से निपटने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर एम्स भोपाल, चिकित्सा प्रबंधन का एक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जुलाई 2019 से शुरु करने जा रहा है। छह माह के इस पाठ्यक्रम में 12 डॉक्टरों को प्रवेश दिया जायेगा। यह पाठ्यक्रम शुरु करने वाला एम्स भोपाल पहला संस्थान होगा। इसके बाद यह पाठ्यक्रम एम्स जोधपुर आैर दिल्ली में भी प्रारंभ किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लीयर मेडिसीन एंड एलाइड साइंस (आईएनएमएएस), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) आैर इग्नू के सहयोग से चलाया जायेगा। इस पाठ्यक्रम से प्रशिक्षित डॉक्टर देश पर सीबीआरएनई हमलों या आपदाओं के समय समाज के लिये मददगार साबित होगें।
पिछले एक साल में एम्स भोपाल संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए सिंह ने बताया कि हाई रिस्क वायरस की जांच के लिये रीजनल वायरोलॉजी लैब शुरु की गई है। इससे जीका वायरस तथा स्वाइन फ्लू के वायरस की जांच हो सकेगी। शीघ्र ही यहां पर कैंसर के इलाज का केन्द्र भी शुरु किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि अनुसंधान एम्स, भोपाल को एक अहम काम है। वर्ष 2018-19 में संस्थान ने कुल 174 अनुसंधान का प्रकाशन किया जबकि इसके पूर्व के सालों में क्रमश: 130 आैर 95 प्रकाशन किये गये थे। उन्होंने कहा कि एम्स भोपाल की कुल 960 बिस्तरों की क्षमता के मुकाबले 600 बिस्तरों की क्षमता हासिल की जा चुकी है। इसके साथ ही 16 बिस्तरों की क्षमता वाला एमडीआर टीबी वार्ड आैर टीवी लेब जल्द ही शुरु किया जाने वाला है।
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