लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पैथालॉजिकल जांच शुल्क कम हो सकती है। खास कम ब्लड के विभिन्न प्रकार के जांच शुल्क में अंतर आ सकता है। जांच शुल्क का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है। केजीएमयू प्रशासन की माने तो हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड की तर्ज पर पैथोलॉजी जांच के लिए इंवेस्टिगेशन रिवॉल्विंग फंड बनाने की कवायद चल रही है। इसके तहत जांच में प्रयोग होने वाले केमिकल व अन्य प्रयोग किये जाने वाले संसाधन को खरीदा जा सकेगा। इस प्रस्ताव को केजीएमयू कार्यपरिषद ने भी मंजूरी दे दी है।
अगर देखा जाए तो ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक मरीज का लाइन आफ ट्रीटमेंट क्लीनकल बेस पर ही होता है। इनमें सबसे ज्यादा जांच पैथालॉजी में करायी जाती है। वह चाहें इमरजेंसी में भर्ती ंहुए मरीज की एबीसी जांच हो या कार्डियक की ट्रापट्री जांच हो। केजीएमयू इनवेस्टिगेशन रिवॉल्विंड फंड (आईआरएफ) की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा है। बड़ी तेजी से पैथालाजिकल जांच शुल्क का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है। योजना के अनुसार यह हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) की तरह काम करेगा। जैसे एचआरएफ में सीधे बड़ी फार्मा कंपनियों से दवाएं खरीदी जाती हैं। उसी तर्ज पर जांच के लिए केमिकल व जांच में प्रयोग होने वाले संसाधन भी खरीदे जा सकेगे। केजीएमयू में अगर पैथालाजिकल जांच के दायरे को देखा जाए तो यहां पर लगभग 395 ब्लड की अलग- अलग प्रकार की जांच ही प्रतिदिन हो जाती है। बड़ी पैथालॉजी से लेकर ट्रामा सेंटर तक जांच होती रहती है। अगर जांच के लिए प्रयोग होने वाले केमिकल की खरीद में कमी आती है तो शुल्क कम जरुर होगा आैर इसका फायदा गरीब मरीजों को मिलेगा। हालांकि केजीएमयू में अभी भी कम शुल्क में ही पैथालॉजी जांच होती है।