सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का भरोसा बढ़ा

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बलरामपुर अस्पताल को 156 वां स्थापना दिवस समारोह

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लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी शर्मा ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के प्रति मरीजों का भरोसा बढ़ रहा है। मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज मिल रहा है। आधुनिक इलाज की सुविधा भी जुटाई जा रही है। प्रमुख सचिव पार्थ सारथी शर्मा सोमवार को बलरामपुर अस्पताल के 156वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। अस्पताल प्रेक्षागृह में धूमधाम से समारोह मनाया गया। समारोह के साथ ही सीएमई का आयोजन भी किया गया, जिसमें विशेषज्ञ डाक्टरों ने विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इलाज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शोध व सेमिनार को बढ़ावा देने की जरूरत है। ताकि ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा सके। इसका सीधा फायदा मरीजों को होगा। उन्हें बेहतर व आधुनिक इलाज मिल सकेगा।

समारोह के साथ आयोजित सीएमई में केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. विश्वजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में लगभग 40 हजार किडनी के मरीज डायलिसिस पर चल रहे हैं। इनमें 40 से 50 प्रतिशत मरीज किडनी प्रत्यारोपण की वेंटिग में चल रहे हैं। वेंटिग बढ़ने व समय पर किडनी प्रत्यारोपण न होने से मरीजों की समस्याएं बढ़ रही है। मरीजों को जीवनदान देने के लिए कैडवरिक किडनी प्रत्यारोपण के प्रति जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ. विश्वजीत सिंह ने कहा कि किडनी की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। यूपी में हर साल पांच हजार से नए किडनी मरीज डायलिसिस पर जा रहे हैं। किडनी प्रत्यारोपण चुनिंदा सरकारी संस्थानों में हो रहा है। लगभग 350 से 400 मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण सरकारी संस्थानों में हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि किडनी की बीमारी के लक्षण तब नजर आते हैं जब वह गंभीर हो जाती है।
डॉ. सिंह ने कहा कि डायलिसिस मरीज की जितनी जल्दी हो सके किडनी प्रत्यारोपण करा लेना चाहिए। क्योंकि बीमारी के दौरान मरीज डायबिटीज व ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं की चपेट में भी आ जाता है। समय पर गुर्दा प्रत्यारोपण की सफलता दर बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि प्रत्यारोपण के बाद मरीज को संक्रमण से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि टीबी को खत्म करने के लिए सभी की सहभागिता की आवश्यक है। लगातार खांसी, बुखार व बेवजह वजन गिरने पर सर्तक हो जाएं आैर जांच कराएं। ताकि टीबी का खात्मा किया जा सके। टीबी का पूरा इलाज है।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह, परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. सुषमा सिंह, महानिदेशक प्रशिक्षण डॉ. पवन कुमार अरुण, बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी, निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश, अस्पताल के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएच उस्मानी, केजीएमयू सर्जरी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अरशद अहमद, हिमैटोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एके त्रिपाठी, पीजीआई कॉर्डियोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. नुकुल सिन्हा, डॉ. सुहाग वर्मा ने अपने विचार रखे।

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