लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज की दिशा में तेजी से अग्रसर है। प्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, मरीज का इलाज उन्हीं जिलों के मेडिकल कॉलेजों में किया जाए। मरीजों के लिए गोल्डेन आवर महत्वपूर्ण होता है। मरीजों को अनावश्यक लखनऊ रिफर न किया जाए।
मुख्यमंत्री ने यह बात आज यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में थोरेसिक सर्जरी विभाग व वैस्कुलर सर्जरी विभाग एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की प्रथम पैथोजेन रिडक्शन मशीन का लोकार्पण करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान वर्चुअल आईसीयू प्रारम्भ किया गया था। केजीएमयू, आरएमएलआईएमएस व एसजीपीजीआई को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी कि वे सायंकाल पांच से छह बजे तक वर्चुअल आईसीयू के माध्यम से मेडिकल कॉलेजों एवं डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों से जुड़कर मरीजों की समस्याओं का समाधान करें। उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस आज बहुत आगे बढ़ चुकी है। हमें समयानुरूप चलने की आदत डालनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में केजीएमयू की कुछ फैकल्टी को अच्छे वैज्ञानिक के रूप में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है। यह गौरव का विषय है। केजीएमयू की 100 वर्ष की यह लम्बी यात्रा किसी भी संस्थान के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। 100 वर्ष की अवधि अपने कार्यों का आंकलन करने का आधार होती है। इस कालावधि के दौरान मेडिकल साइंस ने बहुत सारे क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। हम उस प्रगति में कहां पर हैं, इसका मूल्यांकन हमें स्वयं करना होगा। चिकित्सकों की पुरातन व वर्तमान पीढ़ी केजीएमयू के साथ अपना नाम जोड़ने पर गर्व की अनुभूति करती है। केजीएमयू में थोरेसिक सर्जरी विभाग व वैस्कुलर सर्जरी विभाग की स्थापना एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की प्रथम पैथोजेन रिडक्शन मशीन का प्रारम्भ एक नया प्रयास है। यह सभी ऑर्गन ट्रांसप्लाण्ट हेतु महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने थोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रो. शैलेन्द्र कुमार, वैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रो अम्बरीश कुमार एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख प्रो. तूलिका चन्द्रा को नवीन सुविधाओं के लिए बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार सदैव केजीएमयू की नित नयी प्रगति के साथ खड़ी है। धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। केजीएमयू, आरएमएलआईएमएस व एसजीपीजीआई जैसी संस्थाओं को सुपर स्पेशियलिटी की दिशा में बढ़ना चाहिए। केजीएमयू में अच्छा कार्य हो रहा है। अलग-अलग प्रकृति के मरीजों के लक्षण अलग-अलग होते हैं। यह सब रिसर्च पेपर का आधार बन सकते हैं। यहां का प्रत्येक फैकल्टी मेम्बर व विभाग रिसर्च पेपर व पब्लिकेशन को दिन-प्रतिदिन की गतिविधि का हिस्सा बनाए, जिससे किए जाने वाले शोध कार्यों को पेटेण्ट की ओर अग्रसर किया जा सके। यहां के जितने विभाग हैं, उनका कोई न कोई आर्टिकल इण्टरनेशनल जर्नल्स में प्रकाशित होना चाहिए। इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा। इससे नैक के मूल्यांकन में अच्छी ग्रेडिंग प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस, डेंगू आदि से अनेक मौतें होती थीं। गोरखपुर व उसके आसपास के क्षेत्र में यदि किसी को डेंगू होता था, तो उसे लखनऊ भेजा जाता था, क्योंकि वहां प्लेटलेट्स की कोई सुविधा नहीं थी। आज से 15 वर्ष पूर्व केजीएमयू की डॉक्टर श्रीमती तूलिका चन्द्रा के प्रयासों से गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के अस्पतालों में ब्लड सेपरेटर की यूनिट लगायी गयी थी।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्राजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू ने पूरी दुनिया में कीर्तिमान स्थापित किया है। किसी भी क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचने के पश्चात उस पर टिकना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। यहां के चिकित्सक लगातार शीर्ष स्थान पर स्थित हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय को अपने अच्छे कार्यों की जानकारी लोगों तक पहुंचानी चाहिए।
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेण्ट जनरल (रिटायर्ड) डॉ. बिपिन पुरी, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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