लखनऊ। शीतलहर में श्वसनतंत्र के मरीज तेजी से बढ़ रहे है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लोंिहया संस्थान सहित अन्य अस्पतालों की ओपीडी में रेस्पेटरी के मरीजों की संख्या पहले के अपेक्षा बढ़ी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे ज्यादा परेशान वह मरीज हो रहे है, जो कि पहले से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित है, उन्हें लापरवाही बरतने पर सांस फूलना या लेने में दिक्कत बढ़ रही है। इसके अलावा सर्दी, जुकाम बुखार होने के बाद दवा लेने में लापरवाही बरती है। निमोनिया के मरीज भी बढ़े है।
केजीएमयू की रेस्पटरी मेडिसिन में पहले की अपेक्षा श्वसन तंत्र के मरीज बढ़े है। यहां पर सीओपीडी के अलावा अस्थमा के मरीज जरा सी चूक में परेशान हो रहे है। विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि अगर फेफड़े से जुड़ी बीमारी का कोई मरीज हो तो उसे अपने डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
रेस्पेटरी क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. वेद प्रकाश बताते हैकि ओपीडी में तो रेस्पटरी के मरीज बढ़े है। इनमें निमोनिया के मरीज भी आ रहे है। सांस फूलना या लेने में दिक्कत होने के मरीज लगातार बढ़ रहे है। शीतलहर में फेफड़े के पुराने मरीजों को चाहिए। डाक्टर के बतायी सलाह पर रहे। ठंड में निकलने से बचें आैर दवाओं का सेवन समय पर करता रहे।
उन्होंने बताया कि सर्दी जुकाम के बुखार व सीने में जकड़न होने पर दवाओं का सेवन डाक्टर के परामर्श के बाद ही करें। डाक्टर की सलाह पर इन्हेंलर के साथ निबुलाइजर का प्रयोग करना चाहिये। उन्होंने बताया कि इस वक्त आईसीयू फुल चल रहा है। मरीजों की वेंटिग बढ़ रही है। इसी प्रकार लोहिया संस्थान की ओपीडी, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल की ओपीडी में श्वसन तंत्र के मरीज लगातार बढ़ रहे है।
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