लखनऊ । पीसीपीएनडीटी कानून के अन्तर्गत अगर कोई भी व्यक्ति या संस्था लिंग चयन करती है या लिंग चयन करने के लिए महिला या उसके परिवार पर दबाव डालती है तो ऐसे व्यक्ति व संस्था पर पीसीपीएनडीटी कानून के अन्तर्गत 5 साल तक की सजा एवं 1,00000रू0 तक की सजा का प्रावधान है। यह बात वात्सल्य प्रतिनिधि अंजनी कुमार सिंह ने कही। वह सोमवार को इंदिरानगर स्थित होटल बेबियान इन में आयोजित प्रदेश में कम होती लड़कियों की संख्या एवं पीसीपीएनडीटी कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए परिचर्चा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में 2001 में 927 से वर्ष 2011 में 919 रह गयीं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में 916 से घटकर 902 पहुंच गया। लखनऊ स्थित बराबर रही यानी 915 प्रति हजार की तुलना में है।
अभी हाल के डाटा पर नजर डालें तो एचएफएचएस-4 (2015-16) के अनुसार चाइल्ड सेक्स रेसियों प्रतिहजार में उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में 896 ग्रामीण क्षेत्र में 905 का अनुपात है। इसी प्रकार लखनऊ में 828 तथा 930 दोनों को मिलाकर आैसतन 870 प्रतिहजार में अनुमात है। ऐसी स्थिति में कन्या भ्रूण हत्या जैसे प्रकरणों पर अंकुश लगाने की जरूरत है। अभी इस दिशा में बहुत काम बाकी है। एक्ट बनने के बावजूद इसका कड़ाई से पालन किया जाने की जरूरत है। वात्सल्य व प्लान इण्डिया के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा में उन्होंने बताया कि यह गंभीर समस्या है कि घटती लड़कियों की संख्या के कारण उनके साथ विभिन्न घटनाएं भी हो रही हैं। परिचर्चा के अंत में प्रतिभागियों ने एक्ट से संबंधित सवाल पूछें।