पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक में एमसीएच कराने वाला केजीएमयू पहला संस्थान बनेगा

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लखनऊ। अगर शिशु अचानक दूध पीना बंद कर दे,पैर को चलाना कम करता जाए, तो अभिभावकों को हल्के में न लेना चाहिए। यह बीमारी सेफ्टी अर्थराइटिस हो सकता है,यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल अस्थि शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय सिंह ने उत्तर प्रदेश आर्थोपेडिक एशोसिएशन,लखनऊ आर्थोपेडिक एशोसिएशन व इडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक्स ट्रॉमाटोलॉजी के सहयोग से यूपीओए पीडियाट्रिक्स आर्थोपेडिक अपडेट 2017 कार्यशाला में दी। जल्द ही विभाग में एमसीएच पाठ्यक्रम भी शुरु होने जा रहा है, इसके शुरु होने के बाद यह देश का पहला संस्थान हो जाएगा।

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उन्होंने बताया कि सेफ्टी अर्थराइटिस में बच्चों के कमर के नीचे धीरे- धीरे पस जमा होने लगता है, जो बच्चों के विकास को बाधित कर देता है,यदि समय पर इसका इलाज न किया जाये। तो यह घातक भी हो सकता है। इसलिए जिस भी बच्चे में उक्त लक्षण दिखाई पड़े। उसको चिकित्सक की सलाह पर इलाज शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में 30 से 40 प्रतिशत बच्चे इस तरह की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रो.अजय सिंह ने तीन से छ: वर्ष के बच्चों को होने वाली परथीज नामक बीमारी से राहत दिलाने के लिए स्टेमसेल से इलाज शुरू किया है। मौजूदा समय में केजीएमयू में बच्चों को इलाज चल रहा है। प्रो.अजय सिंह ने बताया कि परथीज बीमारी में बच्चों के कूल्हे में बल्ड सर्कुलेशन लगभग खत्म हो जाता है,जिससे बोन डेड हो जाती है। उन्होंने बताया कि हड्डीयों में दोबारा जीवन डालने के लिए स्टेमसेल का प्रयोग किया जाता है। इसमें बच्चे के रक्त से स्टेम सेल लेकर डेड हो चुके बोन को दोबारा से जीवन दिया जाता है। जिसके बाद धीरे-धीरे परथीज नामक बीमारी का असर कम होता जाता है और बच्चा स्वस्थ हो जाता है।

गाजियाबाद से आये आर्थोपेडिक सर्जन डा. धीरेन्द्र ने बताया कि यदि बड़ो को चोट लगे और हड्डी टूट जाये तो समस्या कम होती है,लेकिन यदि बच्चों की हड्डी टूट जाय तो उसमें लापरवाही नहीं करनी चाहिए , बच्चों को तत्काल इलाज की जरूरत होती है,बच्चों को हड्डी रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार इलाज मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चों की बढ?े की उम्र होती है,जिससे उनकी हड् डीयां भी बढ़ती है,जिससे यदि गलत हड्डी जुड़ जाये तो ग्रोथ तो कम होती ही है साथ ही हड् डी जुड?े के बाद टेंढ़ी भी हो जाती है। इसलिए बच्चों को उचित एवं तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

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