पेट के रोगों के लिए लाभदायक हलासन

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हलासन में शरीर की मुद्रा हल के समान हो जाती है, शायद इसीलिए इसे हलासन कहा जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइए दोनों पैर को बिना घुटना मोड़े एक साथ उठाएं और धीरे-धीरे बिल्कुल ऊपर तक उठा ले। इसके बाद नितंब सहित कमर को भी पैरों के साथ ही उठाते हुए धीरे धीरे पैरों को बिल्कुल सिर के पीछे ले जाएं। शुरुआती दौर में इस प्रक्रिया को करने में कोई जल्दी बाजी नहीं करनी है धीरे-धीरे अभ्यास करते करते यही स्थिति आ जाएगी। इसके बाद पैर के अंगूठे और उंगलियों जमीन को स्पर्श कराएं। ध्यान रहे इस पूरी प्रक्रिया में घुटने कहीं नहीं मुड़ में चाहिए। हमारी श्वसन गति सामान्य रहनी चाहिए।

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पूरी प्रक्रिया करने के बाद जितनी देर तक हम सरलता पूर्वक इस आसन की इस स्थिति में रुक सकते हैं रुके। ना रुक पाने की अवस्था में धीरे-धीरे टांग को ऊपर उठाते हुए सीधा करें फिर जमीन पर वापस आ जाएं। शुरू करने वाले लोगों को कम से कम 10 सेकंड तक इस आसन में रुकने का प्रयास करना चाहिए अभ्यस्त होने पर 2 से 3 मिनट तक भी रुक सकते हैं। असम खत्म होने के बाद शवासन जरूर करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार इस आसन को करने पर अभ्यस्त हो जाने के बाद डायबिटीज , यकृत और पेट के रोगों की दिक्कत लगभग नहीं होती है।

इस आसन के अभ्यास होने पर मेरुदंड सबल और लोचदार बनता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह आसन श्वसन संबंधी बीमारियां और महिलाओं से संबंधित सभी रोगों में कारगर होता है। इस आसन को स्लिप डिक्स, हाई ब्लड प्रेशर हर्निया के रोगी इस आसन का अभ्यास ना करें। कोशिश यही करनी चाहिए आसन कोई भी हो उसे योग गुरु की देखरेख में ही करना जल्दी परिणाम दायक होता है।

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