न्यूज । PGI के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. अशोक कुमार के नेतृत्व में जटिल लेप्रोस्कोपिक मेजर लिवर रिजेक्शन सर्जरी करके मरीज को जीवन दान मिला। इस तरह की जटिल सर्जरी संजय गांधी पीजीआई में पहली बारी की गयी है।
गोरखपुर निवासी कृपासिंधु 27 वर्षीय शिक्षक हैं। चार महीने पहले उन्हें पीलिया हुआ। जिसके बाद उल्टी और बुखार रहने लग गया। स्थानीय चिकित्सकों द्वारा उपचार के बावजूद उनके लक्षणों से राहत नहीं मिली और उनकी दर्द, पीलिया और बुखार की समस्या बढ़ती गई। इसके बाद उन्हें एसजीपीजीआई रेफर कर दिया गया, ब्लड जॉच तथा सीटी स्कैन में पता चला कि बाई तरफ के पित्त प्रणाली से जुड़े लिवर में कैंसर है। बढ़ते पीलिया और उसके बाद संक्रमण के कारण, जिसमे की बिलिरुबिन बढ़ रहा था। पीटीबीडी (यकृत के माध्यम से पित्त नली में नलिकाएं) द्वारा उनकी पित्त नली का निकास किया गया था तथा बिलिरुबिन को नॉर्मल किया गया।
संक्रमण पर नियंत्रण के बाद उन्हें सर्जरी की तैंयारी की गयी। ट्यूमर के साथ लिवर के बाई तरफ के सेगमेंट (लेफ्ट हिपेटेक्टमी) को निकालना एक कठिन काम था और इसे लैप्रोस्कोपी के माध्यम से निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस तरह का सर्जरी देश के कुछ चुनीदा सेंटर पर ही अभी हो रही है।
कई घंटे की जटिल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकल दिया गया और पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर आंत को पित्त नली से जोड़ दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज में सुधार तेजी से हुआ और उन्हें सिर्फ एक दिन के लिए उन्हें ऑब्जर्वेशन के लिए आईसीयू में रहना पड़ा। लिवर रिसेक्शन सर्जरी में मरीज में बहुत सारे मेटाबोलिक चेंजेज होते हैं, जिनको सावधानी से करेक्ट करना पड़ता है। मरीज को सिर्फ पोस्ट आपरेटिव पीरियड में एक ब्लड चढ़ाया गया। सर्जरी के सिर्फ 3 दिन बाद उन्होंने आहार लेने लगा।
एसजीपीजीआई के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में डॉ. अशोक कुमार द्वारा लेप्रोस्कोपिक विधि से रूटीन रुप से इस तरह की जटिल सर्जरी की जा रही है।इसके बाद स्पेशल इक्यूपमेंट के साथ सर्जिकल टीम और एनिसिथिसिया टीम यह कार्य संभव हो पाया। जिसमें एनिसिथिसिया टीम का भी एक अहम सहयोग प्राप्त हुआ।