लखनऊ । संजय गांधी पीजीआई में प्रोफेसर से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर तक के पदों में आरक्षण के नियमों की अनदेखी की भर्ती का विज्ञापन निकालनें की शिकायत प्रदेश के राज्यपाल तथा प्रदेश के मुख्य मंत्री से करेगें। निदेशक की ओर से करीब 22 विभागों में पदों पर निकाले गए विज्ञापन को नियम विरुद्ध बताया जा रहा है। साथ ही इस विज्ञापन में निकाले गए पद आरक्षण के लिहाज से भी उचित नहीं है। निदेशक के रिटायर होने में करीब दो माह बचे हैं। ऐसे में भर्ती विज्ञापन निकाले जाने का विरोध भी संस्थान में शुरू हो गया है।
जानकारों के मुताबिक पीजीआई संस्थान में कार्यकाल समाप्त होने के छह माह पहले ही निदेशक के अधिकार सीज कर दिए जाते हैं। पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन का रिटायरमेंट फरवरी में होना है। ऐसे में दिसंबर में 22 विभागों में फैकल्टी के करीब 84 पदों पर भर्ती निकाली गई है।
इनमें पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी में प्रोफेसर के एक, असिस्टेंट प्रोफेसर के तीन और एसोसिएट प्रोफेसर के एक पद पर भर्ती निकाली गई है। इसी तरह से हेड एंड नेक सर्जरी, पीडियाट्रिक यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी, पीडियाट्रिक सीवीटीएस, टेलीमेडिसिन एंड डिजिटल हेल्थ (मेडिको व आईटी नॉन मेडिको), एडवांस डायबिटीज सेंटर में एंडोक्राइनोलॉजी व सर्जरी, ऑप्थालमोलॉजी और नेफ्रोलॉजी, इमरजेंसी मेडिसिन, एनेथीसियोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी, मेडिकल आंकोलॉजी, मेडिकल गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, रेडियोथेरेपी में तमाम प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट व एडिशनल प्रोफेसर के 84 पद का विज्ञापन निकाला गया है।
संस्थान के ही कुछ डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पीजीआई निदेशक की ओर से नियम विरुद्ध तरीके से भर्ती निकाली गई है। निदेशक का कार्यकाल फरवरी तक है। ऐसे में नियम है कि रिटायर होने के छह माह पहले ही निदेशक के अधिकार सीज कर दिए जाने चाहिए। भर्ती विज्ञापन में आरक्षण के नियमों को भी दरकिनार किया गया है। इस मामले की शिकायत राज्यपाल, मुख्यमंत्री लेकर शासन स्तर पर की जा रही है।